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एक बेड पर दो मरीज, अस्पताल में संसाधनों का टोटा

बगहा। सुबह के दस बजे हैं। अनुमंडलीय अस्पताल में ओपीडी में मेला लगा हुआ है। दर्जनों महिलाएं नगर और ग्रामीण क्षेत्र से इलाज कराने आई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 12:33 AM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 06:37 AM (IST)
एक बेड पर दो मरीज, अस्पताल में संसाधनों का टोटा
एक बेड पर दो मरीज, अस्पताल में संसाधनों का टोटा

बगहा। सुबह के दस बजे हैं। अनुमंडलीय अस्पताल में ओपीडी में मेला लगा हुआ है। दर्जनों महिलाएं नगर और ग्रामीण क्षेत्र से इलाज कराने आई है। पता करने पर बताया गया कि प्रत्येक माह की नौ तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं की जांच और दवा निश्शुल्क व्यवस्थाकी अस्पताल प्रबंधन द्वारा की जाती है। अंदर प्रवेश करने पर प्रबंधक राहुल कुमार स्आन द स्पाट : एक बेड पर दो से तीन मरीज दवा का टोटाटोर कीपर अनिल सिंह से दवा के बारे में पूछताछ करते दिखाई दिये। ओपीडी में केवल 18 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध है। जबकि 108 प्रकार की दवा होनी चाहिए। बताया गया कि जिला से ही दवा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। डिमांड बार बार भेजा जा रहा है। अंदर प्रवेश करने पर गर्भवती की आन द स्पाट : एक बेड पर दो से तीन मरीज दवा का टोटाजांच महिला चिकित्सक डा. रिजवाना खुर्शीद करती नजर आई। ओपीडी में डा. केबीएन. सिंह मरीजों की जांच करते नजर आये। दरवाजे पर डाली सिक्योरिटी सर्विसेज के सुरक्षा कर्मी पूरी मुस्तैदी के साथ सुरक्षा में खड़े दिखे। उपर के कक्ष में दंत चिकित्सक डा. संतोष कुमार अकेले अपने कक्ष में दिखे। कोई मरीज नजर नहीं आया। बताते है कि वे सप्ताह में मात्र तीन दिन ही आया करते है। कब आते है, कब जाते है। किसी को पता ही नहीं चलता है। ऐसे में मरीज कम से कमतर नजर आते है। लेखापाल मो. नुरैन, कर्मी रोशन कुमार आदि काम करते दिखाई दिये। इसके उपरांत आपातकाल में अजब नजारा दिखा। महिला कक्ष में एक बेड पर दो से तीन मरीज बैठे और लेटे दिखे। प्रसव कक्ष में ए-ग्रेड सरला, राधिका और शहजादी काम करते नजर आई। ममता भी नजर आई। पूछने पर मरीजों ने बताया की अस्पताल प्रबंधन द्वारा नाश्ता दिया गया है। पता करने पर प्रबंधक ने बताया कि मान्यता 100 बेड की है। लेकिन धरातल पर केवल 100 बेड ही है। ऐसे में बंध्याकरण के दिन किराये के बेड लेने की मजबूरी रहती है। इसके साथ ही चिकित्सक, ए-ग्रेड, कर्मी, की घोर कमी है।

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बयान :

100 बेड की जगह 30 बेड ही उपलब्ध है। 31 चिकित्सक की जगह मात्र 7 चिकित्सक है। 50 ए-ग्रेड की जगह एक दर्जन ए-ग्रेड है। कर्मियों की भी कमी है। ऐसे में सीमित संसाधन और सुविधा की कमी के बावजूद अस्पताल आये मरीज को हर संभव बेहतर सुविधा के साथ इलाज करने का प्रयास किया जा रहा है। दवा जिला से ही डिमांड के बावजूद उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

डा. एस.पी. अग्रवाल, उपाधीक्षक अनुमंडलीय अस्पताल बगहा,


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