दहेज के खिलाफ मुहिम चला रहे विजय, अब तक करा चुके दो सौ आदर्श विवाह
पश्चिमी चंपारण के एक शख्स ने खुद शादी भी बिना दहेज की और दहेज प्रथा को खत्म करने का संकल्प लेते हुए उन्होंने बिना दहेज की सामूहिक शादी करवाने की ठानी और 11 साल से एेसा कर रहे हैं।
पश्चिम चंपारण [अनिल तिवारी]। दहेज रहित सामूहिक विवाह का 11 साल पहले उठाया गया एक छोटा सा कदम आज कारवां बन गया है। इस पुण्य काम में अब दर्जनों लोग योगदान दे रहे हैं। इसी की बदौलत बिना दहेज 200 आदर्श विवाह हो चुके हैं। समाज के लिए यह काम कर रहे हैं बेतिया के सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता विजय रंजन ठाकुर।
वे कहते हैं, जब छोटे थे तो बड़े भाई राम रंजन ठाकुर ने 1975 में बिना दहेज शादी की। जब वे बड़े हुए तो उनकी ही राह पर चले और 2001 में बिना दहेज शादी की।
बताते हैं कि उनकी न बहन है और न ही बेटी लेकिन वे पिता का दर्द समझते हैं। नाते-रिश्तेदारों में कई पिता को बेटी की शादी में दहेज जुटाने की जद्दोजहद करते देखा है। इससे मन में इच्छा जागृत हुई कि दहेज के अभाव में जो लोग अपनी बेटियों की शादी नहीं कर पाते, उनके लिए कुछ करना चाहिए। इसकी चर्चा अपने मित्र विजय बरनवाल से की।
उन्होंने भी इस पुण्य काम में सहयोग का आश्वासन दिया। इसके बाद मां काली धाम विवाह सेवा समिति बनी। धीरे-धीरे इसमें 21 लोग जुड़ गए। 2006 से गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह कराना शुरू किया। उस साल पांच लड़कियों का विवाह हुआ।
हर साल यह सिलसिला चलते-चलते अब प्रतिवर्ष 15 से अधिक कन्याओं के विवाह तक पहुंच गया है। ठाकुर बताते हैं कि हर पिता अपनी बेटी को बड़े प्यार से पाल-पोसकर बड़ा करता है। अच्छे वर से शादी करना चाहता है। यथासंभव बेटी को कुछ न कुछ देता है, लेकिन लड़के वालों की अनावश्यक मांग पूरा नहीं कर पाता तो टूट जाता है।
बेतिया पुलिस भी करती है सहयोग
मां काली धाम विवाह सेवा समिति के बैनर तले अब तक 200 गरीब कन्याओं की शादी कराई जा चुकी है। इसके संरक्षक प्रकाश राय हैं। भीष्म प्रसाद, ओमप्रकाश साहू, बिहारी लाल साहू और प्रमोद स्वर्णकार आदि सदस्य हैं। इनके सहयोग से प्रतिवर्ष यह पुण्य काम होता है। इतना ही नहीं प्रतिवर्ष बेतिया पुलिस की ओर से एक कन्या के विवाह का खर्च वहन किया जाता है।
दहेज नहीं लेने का संकल्प
ठाकुर बताते हैं कि अगले साल भी 24 फरवरी को 15 गरीब कन्याओं की दहेज रहित शादी कराई जाएगी। इसके लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। विवाह योग्य अनाथ व गरीब लड़कियों को प्राथमिकता दी जाती है। ऐसी लड़कियां जो विकलांग हों या जिनके पिता ना हों। विजय रंजन का कहना है कि अब समय आ गया है कि दहेज लोभियों का समाज से बहिष्कार किया जाए। वे कहते हैं, तीन बेटे हैं। उनकी शादी में एक पैसा दहेज नहीं लेंगे।