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तीन साल गुजर गए, खुद को जिदा साबित करने में..

कर्मियों की लापरवाही का आलम कुछ यूं हुआ कि बगहा एक प्रखंड के आठ पेंशनरों को सरकारी अभिलेखों में मृत घोषित कर दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 09:14 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 09:14 PM (IST)
तीन साल गुजर गए, खुद को जिदा साबित करने में..
तीन साल गुजर गए, खुद को जिदा साबित करने में..

बगहा। कर्मियों की लापरवाही का आलम कुछ यूं हुआ कि बगहा एक प्रखंड के आठ पेंशनरों को सरकारी अभिलेखों में मृत घोषित कर दिया गया। जब पेंशन मिलनी बंद हो गई तो संबंधित लाभुकों ने पहले मुखिया और फिर प्रखंड कार्यालय का चक्कर काटना शुरू कर दिया। देखते ही देखते तीन साल गुजर गए। लेकिन उनकी बात न तो जन प्रतिनिधियों ने सुनी और ना ही प्रशासनिक अधिकारियों ने। सरकारी रिकार्ड में मृत घोषित थे, सो खुद को जिदा साबित करने में उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। वे चिल्लाते रहे कि साहब, हम जिदा हैं। हमें मरा हुआ घोषित क्यों कर दिया गया है। हमारी पेंशन शुरू कर दी जाए। लेकिन उनकी फरियाद को अनसुना कर दिया गया। मामला सामने नहीं आता, रविवार को प्रखंड परिसर में प्रशिक्षु बीडीओ अरुण कुमार की पहल पर सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से जुड़े मामलों के निष्पादन के लिए विशेष शिविर लगा। इसकी जानकारी इन लाभुकों को हुई तो आशा की एक किरण दिखी। वे भी खुद को जिदा साबित करने का प्रूफ लिए शिविर में पहुंच गए। बीडीओ ने जब उनका आवेदन देखा तो अवाक रह गए। क्या सिस्टम इस कदर बेपटरी हो चुका कि आठ लोगों को खुद को जिदा साबित करने के लिए कार्यालयों का चक्कर काटना पड़ रहा। बीडीओ सख्त हुए और तत्काल ऑपरेटरों को बुलाया गया। पोर्टल पर जांच हुई तो सभी मृत पाए गए। कर्मियों ने जब सुना कि मामला नए बीडीओ तक पहुंच गया है तो हड़कंप मच गया। कल तक इन आवेदकों को वापस कर देने वाले, कागज पलटने लगे। सभी का आवेदन स्वीकार कर लिया गया है और उन्हें दोबारा रिकार्ड में जिदा करने की कवायद शुरू हो चुकी है। सवाल सिस्टम से कि आखिर बीेते तीन वर्षो में इन आठ लाभुकों ने जो आर्थिक और मानसिक परेशानी झेली, उसका हिसाब कौन देगा? सवाल उन कर्मियों से भी जिनकी लापरवाही से ये पेंशन से वंचित हैं कि आखिर सरकारी कार्य में इस तरह की लापरवाही क्यों बरती गई! अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले कर्मियों-अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होती है।

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इन्हें मृत घोषित कर दिया गया :-

घुरली देवी, लाभार्थी संख्या 6696609

मोदी मियां, लाभार्थी संख्या 2439078

रामाशीष यादव, लाभार्थी संख्या 2413806

संध्यावती देवी, लाभार्थी संख्या 2413003

पनवा देवी, लाभार्थी संख्या 7525508

इसहाक मियां, लाभार्थी संख्या 2552633

नन्दू साह , लाभार्थी संख्या 2403941

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वर्ष 2015-16 में हुई थी डाटा इंट्री :-

वित्तीय वर्ष 2015-16 में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के सभी लाभुकों से जुड़ा डाटा ऑनलाइन कर दिया गया। इस दौरान इंट्री के क्रम में ऑपरेटरों ने लापरवाही बरती और इन आठ लाभुकों का नाम मृत पेंशनरों की सूची में चढ़ गया। पेंशन बंद हो जाने के बाद जब ये कार्यालयों का चक्कर काटने लगे तो फिर प्रशासनिक लापरवाही सामने आई।

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बयान :

कतिपय कारणों से कई पेंशन के लाभुक को मृत घोषित कर दिया गया था। इस मामले की जांच की जा रही है, दोषी पाए जाने वाले कर्मियों पर कार्रवाई तय है। सभी लाभुकों का नाम मृत पेंशनरों की सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

अरुण कुमार, प्रशिक्षु बीडीओ बगहा एक


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