वित्तरहित शिक्षकों ने उठाई हक की आवाज
वित रहित शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से शनिवार को पं. केदार पांडेय मेमोरियल इंटर कालेज में एक बैठक का आयोजन किया गया।
बेतिया। वित रहित शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से शनिवार को पं. केदार पांडेय मेमोरियल इंटर कालेज में एक बैठक का आयोजन किया गया। इस दौरान शिक्षक नेता प्रो. परवेज आलम ने कहा कि एक तरफ जहां महात्मा गांधी के सत्याग्रह का शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है। वहीं वित्तरहित शिक्षा कर्मियों की स्थिति बंधुआ मजदूरों से भी बदतर है। वर्ष 2005 में बिहार विधान सभा चुनाव के पूर्व बीजेपी जदयू ने वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त करने का संकल्प लिया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2008 में शर्त बंद कर गिरगिटिया प्रथा के अनुकूल छात्र छात्राओं के परीक्षाफल के आधार पर अनुदान प्रबंधन समिति के माध्यम से देने का प्रावधान किया। इसमें कर्मियों को सीधे उनके खाते में ना कोई धन राशि भेजी जाती है न कोई वेतनमान, न कोई पेंशन, न चिकित्सा सुविधा, न ही स्थानांतरण। दुर्घटना अथवा आकस्मिक मृत्यु होने पर पारिवारिक लाभ तो दूर, कफन भी सरकार या प्रबंधन समिति से नसीब नहीं होती। बैठक में शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों की अनेक समस्याओं पर चर्चा की गई और आगे की रणनीति तय की गई। इसके साथ ही सरकार के ऐतिहासिक संकल्प वित्तरहित शिक्षा नीति का समापन के तहत वित्तरहित संस्थानों का अधिग्रहण कर कार्यरत कर्मियों को सरकारी कर्मचारी के प्राप्त सभी लाभ प्रदान किए जाए। अनुदान राशि का भुगतान निर्धारित मापदंडों के अनुरूप समानुपातिक रूप से किए जाने के लिए प्रबंध समिति को निर्देश दिया जाए आदि मांगों को भी रखा गया। मौके पर प्राचार्य सुनील कुमार राव, प्रो. मार्कंडेय किशोर राय, प्रो. शंभू आलोक, प्रो. वसीम अहमद, प्रो. अब्दुल, अखिलेश्वर कुमार पांडेय, प्रो. कौशलेंद्र तिवारी, प्रो. महेंद्र झा, परशुराम ¨सह, प्रमोद कुमार मिश्र, अनिल कुमार मिश्र, प्रो. प्रमोद कुमार शुक्ला आदि उपस्थित रहे।