मेडिकल छात्रों की पीड़ा, कैसे लगाएंगे आंख में चीरा
बेतिया। कुशल चिकित्सक बन कर देश की सेवा करेंगे। देश-विदेश के बड़े अस्पतालों में बहाल होकर मरीजों का इलाज करेंगे। यही बचपन से सपना था।
बेतिया। कुशल चिकित्सक बन कर देश की सेवा करेंगे। देश-विदेश के बड़े अस्पतालों में बहाल होकर मरीजों का इलाज करेंगे। यही बचपन से सपना था। इस सपने को सकार करने के लिए कड़ी मेहनत की। परीक्षा को पास किया तब जाकर मेडिकल कॉलेज में नामांकन हुआ। लेकिन दुर्भाग्य से गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज मिल गया। हालांकि इसमें हमलोगों की कोई गलती नहीं हैं। नामांकन के समय यहां बेहतर व्यवस्था होने की बात कही गई थी। लेकिन यहां आकर सच्चाई का पता चला। यह कॉलेज आज भी पूर्ण रूप से सदर अस्पताल की भूमिका को पूरा नहीं कर पाया हैं। हद तो यह हैं कि एक बैच एमबीबीएस की परीक्षा को पास कर गया। इंटर्नशिप भी पूरी होने वाली हैं। इसके पूरा होने में चंद माह शेष हैं। दूसरा बैच भी अब कॉलेज से पास आउट होने वाला हैं, लेकिन यहां अब तक मामूली आंख के ऑपरेशन की दरकार हैं। यह पीड़ा किसी मरीज या उनके परिजन की नहीं बल्कि कॉलेज में पढ़ाई कर रहे उन मेडिकल छात्र-छात्राओं की हैं जो अब तक इसके हुनर से वंचित हैं।नाम नहीं छापने की शर्त पर मेडिकल छात्रों ने अपनी व्यथा को बताते हुए कहा कि अपनी मेहनत और काबीलियत के बदौलत वे हर परीक्षा पास तो कर रहे हैं लेकिन प्रैक्टिकल के रूप में उन्हे बहुत कुछ नहीं प्राप्त हो रहा हैं। हालांकि सच्चाई क्या हैं, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन एक बात तो साफ हैं यहां सबकुछ ठीक-ठाक नहीं हैं। आंख का ऑपरेशन शुरू नहीं होने से एक तरफ जहां मेडिकल छात्र इससे वंचित हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मरीजों को जिले से बाहर जाकर इलाज कराने की विवशता बनी हुई हैं। हर एक लोग कुव्यवस्था की मार झेल रहे हैं।
बयान :
आंख के ऑपरेशन के लिए सभी व्यवस्था कर ली गई हैं। शनिवार से शिविर लगातार ऑपरेशन किया जाएगा। इसके लिए चिकित्सकों की टीम बनाई गई हैं।
डॉ. विनोद प्रसाद, प्राचार्य
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, बेतिया