रहमत और नेमतों का महीना है पवित्र रमजान
पवित्र रमजान का महीना रहमत व नेमतों का महीना है। महीने में एतकाफ का सबसे बड़ा महत्व है। एतकाफ करने वाला इंसान एकांत कमरे में बैठ कर अल्लाह की इबादत करता है।
बगहा । पवित्र रमजान का महीना रहमत व नेमतों का महीना है। महीने में एतकाफ का सबसे बड़ा महत्व है। एतकाफ करने वाला इंसान एकांत कमरे में बैठ कर अल्लाह की इबादत करता है। एतकाफ करने वाले के साथ पूरी बस्ती के लोगों का गुनाह माफ होता है। इसे जिम्मेवार लोग ही करते हैं। रोजा को तीन आशरा में बांटा गया है। पहला रहमत का है। इस मे अल्लाह की रहमत अपने नेक बंदों पर बरसता है। ये 10 दिन तक रहता है। दूसरा मगफिरत का है। इस मे सभी को अल्लाह गुनाहों से मगफिरत देता है। आखिरी 10 दिन आग से निजात का होता है। इसमें अपने- अपने वालदैन सहित सभी लोगों के लिए दोजख की आग से निजात के लिये दुआ मांगी जाती है। उपरोक्त बातें हाफिज कलीमुल्लाह ने कहीं। कहा कि इस माह में एक एक पल अल्लाह की इबादत में गुजरना चाहिये। रमजान में अगर किसी ने एक रोजा छोड़ दिया तो लगातार दो माह रो•ा रखने के बाद भी रमजान के रोजे की भरपाई नहीं होगी।
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तरावीह का अलग है मुकाम :-
नगर के ईदगाह मस्जिद, रत्नमाला, अंसारी टोला, पंवरिया टोला, दुमवालिया, मलकौली, नरवल, बरवल, कोल्हुआ, भैरोगंज, आदि सभी मस्जिदों में तरावीह का नमाज पढ़ा जा रहा है। इमाम जो हाफिज होते हैं, वे कुरान को कंठस्थ सुनते हुए नमाज अता करते हैं। रोजा में तरावीह का बहुत आला मुकाम मिलता है।
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रोजेदारों का हौसला देखने लायक :-
बड़े भीषण गर्मी के बावजूद रोज रखने में किसी से पीछे नही रहते है। शेख शफरूद्दीन के 9 वर्षीय पुत्र आसिफ अली सभी रोजा रखते आ रहे हैं। गर्मी को देख मां, भाई व बहन मना करते हैं। बावजूद वह कहता है कि आप लोग सब नेकी कमाना चाहते हैं। मैं भी अल्लाह को राजी करके अपने ही नहीं दादा, दादी, अब्बू, अम्मी सभी के लिये जन्नत मांगूंगा।
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सैदुल्लाह अंसारी का 10 वर्षीय पुत्र सरफराज अंसारी लगातार रोजा रख रहा है। रोजा रखने के साथ स्कूल भी जा रहा है। कहता है कि घर के सभी लोग रोजा रखते हैं। उनके साथ सेहरी खाने, नमाज पढ़ने के बाद एक साथ इफ्तार करना अच्छा लगता है।
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शमशाद अंसारी की 11 वर्षीया पुत्री सनुवर जहां अब तक के सभी रोजे पूरी पाबंदी के साथ रखती आ रही है। कहती है कि अल्लाह को रोजा बहुत पसंद है। रो•ा में सब गुनाह अल्लाह माफ करता है। एक नेकी की जगह 70 नेकी देता है। मैं सभी रोजा रखूंगी। अल्लाह से सबके लिये जन्नत मांगूंगी।
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शमसाद अंसारी की पुत्री शुंबुल परवीन सभी रोजा रखती आ रही है। रोजा के साथ नमाज भी पांच वक्त की पढ़ती है। कहती है कि अल्लाह को रोजा के साथ नमाज बहुत पसंद है। रमजान के पवित्र महीने में ही कुरान धरती पर आया था। अल्लाह एक नेकी पर 70नेकी देता है। अल्लाह से बहुत कुछ इफ्तार के समय मांगती हूं।