जानलेवा बना संतघाट का ऐतिहासिक पुल, प्रशासन बेसुध
बेतिया। शहर के पश्चिमी छोर पर स्थित चंद्रावत नदी पर बना संतघाट पुल भी जिले के ऐतिहासिक महत्व का रहा है लेकिन, वर्तमान उतना ही भयावह है।
बेतिया। शहर के पश्चिमी छोर पर स्थित चंद्रावत नदी पर बना संतघाट पुल भी जिले के ऐतिहासिक महत्व का रहा है लेकिन, वर्तमान उतना ही भयावह है। आज इस पुल की स्थिति ऐसी है कि इससे होकर यात्रा करना अपनी जान जोखिम में डालने के बराबर है। दरअसल यह इतना जर्जर हो चुका है कभी भी गिर सकता है। बावजूद इसके निर्माण की दिशा में प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। विगत लगभग छह माह पहले जब यह पुल एक और धंस गया तब से इस पर आवागमन बाधित है। प्रशासन ने पुल की घेराबंदी भले ही कर दी हो लेकिन इस घेराबंदी के बावजूद भी पुल से होकर मोटरसाइकिल, ई-रिक्शा ठेला आदि का इस पर से गुजरना बदस्तूर जारी है। यहां बता दें कि पुल के विकल्प के रूप में एक डायवर्सन बनाया गया है, जिससे होकर अन्य वाहनों की आवाजाही होती है। लेकिन, वहां भी स्थिति कम खतरनाक नहीं है। डायवर्सन दोनों ओर से खुला है। इस कारण नदी में गिरने का खतरा लगातार बना रहता है। फिलहाल, पुल कब बनेगा इसका कोई अता पता नहीं है। कहने को तो स्थानीय विधायक वर्तमान सरकार में है लेकिन फिर भी इस ओर कोई ठोस पहल अब तक दिखी नहीं है। कहते हैं लोग
नियमित इस पुल से होकर गुजरने वाले उपेंद्र तिवारी बताते हैं कि पुल के विकल्प के रूप में लगभग आधा किलोमीटर दूर डायवर्सन से आना जाना भी दुष्कर है। प्रतिदिन धूल के गुबार से आमना सामना होता है, लिहाजा इस पुल से होकर आना जाना मजबूरी है। स्थानीय निवासी दिनेश पाल कहते हैं कि प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग अपनी जान जोखिम में डालते हैं और इस पुल से होकर यात्रा करते हैं।अगर कभी यह पुल गिरा तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता है। लेकिन पुल का जीर्णोद्धार कब होगा, इसका कुछ पता नहीं। प्रतिदिन स्कूल से होकर यात्रा करने वाले शिक्षक अर¨वद राय कहते हैं कि अगर सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो कभी भी बड़ा खतरा हो सकता है इसके लिए आगे आना होगा और पुल बनवाने के लिए आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। प्रतिदिन हजारों बाइक व साइकिल सवार कर रहे यात्रा
ईंट से घेरकर इस पुल पर आवागमन रोका गया है लेकिन एक ओर से खुल जाने के चलते हजारों की संख्या में मोटरसाइकिल और साइकिल सवार यात्रा करते हैं इसके चलते पुल पर घंटों जाम लगा रहता है, ऐसे में साइकिल सवार दीवाल के ऊपर से साइकिल को तड़पाते हैं और यह नजारा अपने आप में अनोखा होता है। नीचे की ओर से पुल को देखने से पता चलता है कि स्थिति कितनी गंभीर है, लेकिन इस ओर सरकार की नजरें कब इनायत होंगी यह बड़ा सवाल है। अंग्रेजों ने कराया था निर्माण, आते थे यहां संत-महात्मा
इस पुल का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था। दरअसल, पुराने जमाने में इस नदी के तट पर संत-महात्मा आते-जाते रहते थे, इस कारण यहां का नाम संतघाट पड़ा। यह पुल बेतिया को बैरिया और योगापट्टी प्रखंड के दर्जनों गांवों से जोड़ता है।