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सफल जीवन की राह में आपसी विवाद सबसे बड़ी बाधा : जिला जज

जिला जज सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के चेयरमैन अभिमन्यु लाल श्रीवास्तव ने कहा कि सफलतापूर्ण जीवन की राह में आपसी विवाद सबसे बड़ा बाधक है। विवाद का कोई अंत नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Mar 2019 01:32 AM (IST)Updated: Sun, 10 Mar 2019 01:32 AM (IST)
सफल जीवन की राह में आपसी विवाद सबसे बड़ी बाधा : जिला जज
सफल जीवन की राह में आपसी विवाद सबसे बड़ी बाधा : जिला जज

बेतिया । जिला जज सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के चेयरमैन अभिमन्यु लाल श्रीवास्तव ने कहा कि सफलतापूर्ण जीवन की राह में आपसी विवाद सबसे बड़ा बाधक है। विवाद का कोई अंत नहीं है। जितना बढ़ाइएगा उतना ही विवाद बढ़ेगा। मुकदमा से मानसिक परेशानी तो होती ही है, धन व समय की भी क्षति होती है। आपस में मिल बैठकर वादों का अंत करना ही समझदारी है। पड़ोसियों और परिवार के लोगों के साथ मिलजुलकर रहना ही सबसे बेहतर है। समाज की मजबूती के लिए आपस में भाईचारा कायम करना बेहद जरूरी है। वे शनिवार को एडीआर भवन के प्रांगण में नेशनल लोक अदालत के उद्घाटन सत्र में पक्षकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि दिल के शैतान को परास्त कर इंसानियत को जिदा करें। आपसी विवाद को नेशनल लोक अदालत में निपटाकर सुकून की जिदगी जीये। सुलह समझौता से वादों के शीघ्र निपटाने के लिए नेशनल लोक अदालत सबसे अच्छा और सुविधा जनक मंच है। यहां किसी की ना तो हार होती है और ना जीत। दोनों पक्षों की जीत होती है। सुलह समझौता के आधार पर वादों को निपटाकर पक्षकार यहां से हंसते हुए निकलते है। वहीं जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव योगेश मणि त्रिपाठी ने कहा कि सुख शांति समृद्धि के लिए हाथ मिलाना और वादों का निपटारा करना जरूरी है। आपसी विवादों का सबसे बड़ा कारण आपसी द्वेष है। इसे दूर कर नेशनल लोक अदालत में ज्यादा से ज्यादा वादों का निपटारा करें।

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नेशनल लोक अदालत में निपटाए गए 572 वाद

जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में आयोजित नेशनल लोक अदालत में कुल 572 वादों का निपटारा किया गया। जबकि, समझौता राशि 20002755 रही। सबसे ज्यादा बैंक से जुड़े 412 वादों का निपटारा किया गया, जिसकी समझौता राशि 18646774 रही। एसबीआई बैंक के कुल 185 वादों का निपटारा किया गया, जिसकी समझौता राशि 8732000 रही। दूसरे स्थान पर सेंट्रल बैंक रहा, सेंट्रल बैंक से जुड़े 107 वादों का निपटारा किया गया, समझौता राशि 3271698 रहा। तीसरे नंबर पर ग्रामीण बैंक रहा। कुल 67 वादों का निपटारा किया गया, जिसकी समझौता राशि 3598536 रही। वहीं पीएनबी बैंक के 39 मामले निपटाये गए, समझौता राशि 2133500 रुपये रही। यूको बैंक के 10 मामले निपटाये गए, समझौता राशि 30000 रही।बैंक आफ बड़ौदा के कुल 4 वादों का निपटारा हुआ, समझौता राशि 581040 रूपये रही। वहीं जंगल से जुड़े छह वादों का निपटारा किया गया, जिसकी समझौता राशि 30000 रही। वैवाहिक वाद के 4 मामले निपटाये गए, दावा वाद के 3 मामले का भी निष्पादन किया गया, समझौता राशि 1275000 रही। जबकि बीएसएनएल के 27 मामले निष्पादित किए गए। समझौता राशि 50981 रही। 120 आपराधिक मामलों का भी नेशनल लोक अदालत में निपटारा किया गया।

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नौ बेंचों के माध्यम से सभी वादों का किया गया निपटारा

नेशनल लोक अदालत में विभिन्न वादों के निपटारे के लिए नौ बेंच बनाए गए थे। पीठासीन पदाधिकारी के रूप में अपर जिला सत्र न्यायाधीश सगीर आलम, सुरेंद्र प्रसाद, एसीजेएम वन योगेशमणि त्रिपाठी, एसीजेएम श्रीराम झा, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी मनोरंजन झा, मुंसिफ पंकज पांडेय, न्यायिक दंडाधिकारी मानस कुमार, अभिषेक कुमार, मनोज कुमार शामिल रहे। जबकि सहयोगी के रूप में लिपिक आर्दश गौतम, विनय कुमार, विभोर पांडेय, हिद कुमार आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।


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