Move to Jagran APP

शोषित महिलाओं व बच्चों की आवाज बनीं वंदना

महिला सशक्तीकरण की बात हो या बच्चों के अधिकार दिलाने की अधिवक्ता वंदना झा हमेशा उनकी आवाज बनकर उभरती रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 12:27 AM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 12:27 AM (IST)
शोषित महिलाओं व बच्चों की आवाज बनीं वंदना
शोषित महिलाओं व बच्चों की आवाज बनीं वंदना

बेतिया । महिला सशक्तीकरण की बात हो या बच्चों के अधिकार दिलाने की अधिवक्ता वंदना झा हमेशा उनकी आवाज बनकर उभरती रही है। बेशक पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं को कैसे स्थापित करना है यह वंदना झा से बखूबी सीखा जा सकता है। लंबे संघर्ष के बाद वंदना झा ने न सिर्फ अपने आप को एक सफल अधिवक्ता के रूप में खुद को स्थापित किया बल्कि अब गरीब लाचार महिला व शोषित बच्चों के लिए निशुल्क कानूनी लड़ाई लड़ रही है। महिला हेल्पलाईन ज्वाइन करने के बाद उन्होने यौन शोषण के खिलाफ भी आवाज बुलंद कर रही है। विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में वे पैनल अधिवक्ता के पद पर रहते हुए भी गरीबों की सेवा कर महत्वपूर्ण मुकाम हासिल कर चुकी है। व्यवहार न्यायालय में वंदना दूसरी महिला है, जिन्होंने अधिवक्ता के रूप में काम करना शुरू किया। इस क्रम में उन्हे कई तरह के समस्याओं का सामना करना पड़ा। पुरूष प्रधान समाज के टीके टिप्पणियों का भी सामना करना पड़ा लेकिन धुन की पक्की वंदना ने इसकी कोई परवाह नही की और कर्म पथ पर लगातार आगे बढ़ती रही। आर्थिक रूप से मजबूत परिवार से जुड़े रहने के बावजूद वकालत पेशा से जुड़ने का मुख्य कारण महिलाओं व बच्चों के अधिकार के लिए लड़ना है। वंदना झा का कहना है कि सरकार ने महिलाओं के सुरक्षा वे अधिकारों के लिए सार्थक व पर्याप्त कानून बनाये है। बावजूद लोक लाज के कारण महिलाएं छेड़छाड़ व यौन शोषण के खिलाफ पुलिस या अन्य सार्थक मंच पर शिकायत नहीं कर पाती है। उन्होने ने बताया कि हेल्प लाइन में काम करने के क्रम में इस तरह के समस्याओं का सामना कर रही महिलाओं ने उनसे अपनी समस्याओं से उन्हे अवगत कराया। पीड़ित पक्ष को नैतिक साहस देने के बाद उन्हे कानूनी जंग लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इसमें उन्हे जीत भी मिली। उनका कहना है कि जुल्म करने से ज्यादा जुल्म सहना गलत है। महिलाओं को समाज में पुरूषों के बराबर अधिकार पाने के लिए अत्याचार का विरोध करना ही होगी। आधी आबादी कबतक अपने हाल पर आंसू बहाती रहेगी। उन्हें समाज में पुरूषों जैसे अधिकार पाने के लिए जागरूक होना ही होगा। वंदना बताती है अधिवक्ता बनने, समाजसेवा करने में उनके पति विमलचंद ठाकुर का पूरा समर्थन रहा है।

prime article banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.