मीना बाजार जहां देश के दिवानों ने गद्दार फणीन्द्रनाथ की कर दी थी हत्या
बेतिया। शायद बहुत कम ही लोगों को मालूम है कि स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हीरो से जीरो बने गद्दार फणीन्द्रनाथ घोष की हत्या देश के दिवानों ने शहर के मीना बाजार में कर दी थी।
बेतिया। शायद बहुत कम ही लोगों को मालूम है कि स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हीरो से जीरो बने गद्दार फणीन्द्रनाथ घोष की हत्या देश के दिवानों ने शहर के मीना बाजार में कर दी थी। ऐतिहासिक इस गाथा की मीना बाजार में आज भी कोई निशानी देखने को नहीं मिलती है। इस ऐतिहासिक घटना से आज भी युवा पीढ़ी अनभिज्ञ है। बात उन दिनों की है जब स्वतंत्रता संग्राम की निर्णायक जंग लड़ी जा रही थी। लंदन से भारत पहुंची साइमन कमीशन का विरोध लाला लाजपत राय विरोध कर रहे थे। इस तरह का विरोध अंग्रजों को नागवार गुजरा। इसी क्रम में जुल्मी अंग्रेजी हुकुमत ने जमकर लाठियां बरसाई। नतीजन उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद देश में उबाल आ गया। क्रांतिकारी गुस्सा से कांपने लगे। क्रांतिकारियों ने सुनियोजित योजना के तहत लाला लाजपत राय की मौत के जिम्मेवार अंग्रेज व पदाधिकारियों को क्रांतिकारियों ने मौत की नींद सुला दिया है। इस घटना के बाद अंग्रेजों के कान खड़े हो गए। बेचैन ब्रिटिश हुकुमत भी देश के दिवाने को समाप्त करने पर तुल गई। लंदन से खुफिया विशेषज्ञों को बुलाया गया। पूरे देश में क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी के लिए अंग्रेजों ने जाल बिछा दी थी। इसी बीच भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के हीरो से जीरो बने फणीन्द्रनाथ घोष को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। अंग्रेजों के जुल्म के सामने कोई नहीं टूटा। लेकिन पुलिस जुल्म से घबराकर फणीन्द्रनाथ घोष ने क्रांतिकारियों के सारे नेटवर्क का भंडाफोड़ कर दिया। इतना ही नहीं वह सरकारी गवाह भी बन गए। चंद्रशेखर आजाद को छोड़कर लगभग सभी क्रांतिकारी गिरफ्तार कर लिए गए। फणीन्द्रनाथ के इस कायराना हरकत पर क्रांतिकारी घृणा से उबल पड़े। गद्दार फणीन्द्र को सबक सिखाने की तैयारी शुरू हो गई। उनकी हत्या के लिए क्रांतिकारी योगेंद्र शुक्ल व केदार मणी शुक्ल तैयार हो गए। चंद्रशेखर आजाद ने पता लगाया तो खुलासा हुआ कि फणीन्द्रनाथ घोष कोलकाता से बेतिया आ गया है। उसने मीना बाजार में दुकान चला रहा है। गुस्से से पागल योगेंद्र शुक्ल व केदार मणि शुक्ल बेतिया पहुंच गए। योजना के सफल निष्पादन का जिम्मा क्रांतिकारी विद्या प्रसाद को सौंपी गई। उन्हें लाइनर के रूप में जिम्मेवारी निभाने का निर्देश दिया गया। केदार मणी शुक्ल और विद्या प्रसाद ने फणीन्द्र की गतिविधियों की जानकारी क्रांतिकारी योगेंद्र शुक्ल और बैकुण्ठ शुक्ल को दी। मीना बाजार स्थित फणीन्द्र की दुकानों के शिनाख्त एक दिन पूर्व ही करा दी थी। योजना के अनुसार योगेंद्र शुक्ल वेष बदलकर फणीन्द्र की दुकान पर पहुंच गए। दोनों की साइकिल का जिम्मा और वहां से सुरक्षित निकाल देने के लिए विद्या प्रसाद व बैकुण्ठ शुक्ल अवंतिका चौक पर खड़े हो गए। योगेंद्र शुक्ल जैसे ही फणीन्द्र की दुकान पर गए, तो शातिर फणीन्द्र उन्हें पहचान लिया। फणीन्द्र इधर पिस्टल निकाल ही रहे थे कि योगेंद्र शुक्ल ने खुखरी से उनका काम तमाम कर दिया।
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इनसेट
स्वतंत्रता सेनानी स्व. पंडित चन्द्रदेव झा के पौत्र पिटू झा ने बताया कि सरकार की जिम्मेवारी है कि मीना बाजार में महान देशभक्त योगेंद्र शुक्ल, केदार मणि शुक्ल, बैकुंठ शुक्ल, विद्या प्रसाद की प्रतिमा स्थापित करें। साथ-साथ शहीदों के संग्रहालय बनाने में रूचि दिखाए। सरकार द्वारा क्रांतिकारियों की साइकिल, खुखरी एवं उनके द्वारा प्रयोग किए गए वस्तुओं को इन संग्रहालय में सुसज्जित किया जाएं।