सोमेश्वर संसद में बैठ युवा करेंगे ज्ञान की बात
सोमेश्वर साहित्य परिषद् की स्थापना 1946 में हुई थी। इस साहित्यिक संगठन को जीवित करने की आवश्यकता है।
बगहा । सोमेश्वर साहित्य परिषद् की स्थापना 1946 में हुई थी। इस साहित्यिक संगठन को जीवित करने की आवश्यकता है। उक्त बातें रविवार को आचार्य दिनेश शुक्ला ने सोमेश्वर साहित्य परिषद की बैठक में कहीं । उन्होंने कहा कि स्थापना काल के कुछ ही समय के पश्चात यहां आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री एवं हरिवंश राय बच्चन जैसे महान कवियों का आगमन हुआ था। यह मंच भी राज्य के उच्चस्तरीय मंचों में एक था। परिस्थितियां कुछ ऐसी हुईं कि संस्था पूरी तरह से निष्क्रिय हो गई। अब इसको जीवंत करने की कोशिश हो रही है। बैठक की अध्यक्षता समाजसेवी रंजन उपाध्याय ने की। बैठक में परिषद की भूमि पर भवन निर्माण कराने एवं पुस्तकालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया। श्री उपाध्याय ने कहा कि संसद के भवन निर्माण के बाद यहां पुस्तकालय की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। जिससे लोगों को ज्ञानवर्धक बातों की जानकारी हो सकेगी। सोमेश्वर साहित्य परिषद् का नाम बदलकर सोमेश्वर संसद करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया। बैठक का संचालन गौतम प्रसाद राव ने किया। इस क्रम में मो. सलाउद्दीन ने कहा कि बुद्धिजीवी वर्ग के बैठने का एक स्थान इसके निर्माण से सुनिश्चित हो जाएगा। जहां जानकारी एवं ज्ञान को भी साझा किया जा सकेगा। इस बैठक में साहित्यकार इंजीनियर आनंद किशोर मिश्रा, गीतकार अरूण चंपारणी, सेवानिवृत शिक्षक मुनिन्द्र मिश्र, सुशील छापोलिया, मुखिया गौरी शंकर प्रसाद, राजेश यादव, सुबोध यादव, दिनेश मुखिया, संजय मिश्रा, मधु बाबू झुनझुनवाला, निर्मलेन्द्र राय, शत्रुघ्न प्रसाद यादव, प्रदीप सिंह, शेख औरंगजेब, मो. इस्लाम उर्फ शेख गुड्डू, दिनेश सिंह आदि उपस्थित थे।