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गोबरौरा शिवमंदिर

बेतिया। गोबरौरा का शिवमंदिर इलाके के लिए आस्था व श्रद्धा का बड़ा केंद्र है। ऐसी मान्यता है कि

By Edited By: Published: Wed, 10 Aug 2016 12:14 AM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2016 12:14 AM (IST)
गोबरौरा शिवमंदिर

बेतिया। गोबरौरा का शिवमंदिर इलाके के लिए आस्था व श्रद्धा का बड़ा केंद्र है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी यहां सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है ईश्वर उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। वैसे तो यहां जलाभिषेक व रुद्राभिषेक आदि का आयोजन सालोंभर होता है। लेकिन श्रावण मास में इसकी महत्ता व आयोजनों की संख्या बढ़ जाती है। लोग दूसरी नदियों से भी जल लाकर भगवान भोलेशंकर का जलाभिषेक कर फल प्राप्ति की कामना करते हैं। मंदिर किनारे एक बड़ा विशाल तालाब भी अवस्थित है जो आस्था के इस केंद्र की सुंदरता व रमनीकता में चार चांद लगाता है। इस मंदिर परिसर में रामजानकी मंदिर भी है। यहां नाग पंचमी, दशहरा व फगुनी तेरस को मेला भी लगता है। इस क्षेत्र में यह अपने तरफ का ऐसा मंदिर है। जहां शिवलिंग तो काला है लेकिन उसमें लाल रंग की आभा दिखाई देती है।

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इतिहास

प्रखंड मुख्यालय से छह किलोमीटर उत्तर पूर्व में अवस्थित इस मंदिर का निर्माण सैकड़ों वर्ष पूर्व ग्रामीण स्व. राधिका कुंअर ने कराया था। इसके निर्माण में एक भी ईट का प्रयोग नहीं हुआ है। चुनार के पत्थरों से इसका निर्माण कराया गया है। वह भी ऐसी की जब चाहे मंदिर को खोला जा सकता है और पुन: ठीक वैसा ही मंदिर तैयार भी किया जा सकता है। मंदिर के ठीक बगल में विशाल तालाब भी अवस्थित है। श्रद्धालु सामने स्थित इस तालाब में स्नान कर उसी जल से भगवान भोलेशंकर का जलाभिषेक करते हैं।

तैयारी

वैसे तो यहां जलाभिषेक व रुद्राभिषेक सालोंभर होता है। लेकिन श्रावण मास में इसकी महत्ता बढ़ जाती है। इसको देखते हुए मंदिर प्रबंधन से जुड़े ग्रामीणों ने यहां खास व्यवस्था की है ताकि श्रद्धालु भक्तों को कोई खास परेशानी नहीं हो। लोग दूसरी नदियों में भी जल लाकर भगवान भोलेशंकर का जलाभिषेक करते हैं। मंदिर इन दिनों हर समय श्रद्धालु भक्तों से गुलजार रहता है।

पं. वीरेंद्र कुमार पांडेय मंदिर के मुख्य पुजारी है। इनका कहना है कि सच्चे मन से मांगी गई मुराद भगवान भोले अवश्य पूरी करते हैं। मंदिर की ख्याति अब दूर दूर के इलाके तक फैलने लगी है। इसलिए दूसरे जगहों से भी यहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने यहां आते रहते हैं।

ग्रामीण व सेवानिवृत शिक्षक पं. बृजकिशोर मिश्र का कहना है कि मंदिर की साफ सफाई के बाद जो पहली पूजा करके जो भी मुरादें मांगता है। भगवान भोले शंकर उसकी मन्नत को पूरा करते हैं। यह मंदिर जाग्रत मंदिर है। तभी तो इसकी ख्याति अब काफी बढ़ने लगी है।


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