रामजानकी मंदिर
यह शिव मंदिर नगर के रामजानकी मंदिर प्रांगण में स्थित है। सावन के शुरू होते हीं यहां कावरियों का पहुंचना शुरू हो जाता है।
बेतिया। यह शिव मंदिर नगर के रामजानकी मंदिर प्रांगण में स्थित है। सावन के शुरू होते हीं यहां कावरियों का पहुंचना शुरू हो जाता है। मंदिर काफी आकर्षक है। मुख्य सड़क से लगे होने के कारण आते जाते राहगीर व आस पास के लोग यहां नित्य माथा टेकते हैं। भगवान शिव के साथ साथ मंदिर प्रांगण में अन्य देवी देवताओं की भी प्रतिमा स्थापित है। जिस कारण भक्तों का तांता लगा रहता है। श्रद्धा का प्रतीक माना जाने वाला यह शिव मंदिर शादी ब्याह से लेकर अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए भी उपयोग होता है। यहां सावन भर श्रद्धालु भगवान शिव पर जल चढ़ाते और उनकी पूजा अर्चना करते हैं। इस माह में महादेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
इतिहास
धुमनगर शिव मंदिर का इतिहास काफी पुराना माना जाता है। यह अंग्रेजों के जमाने से स्थापित है। इसकी स्थापना सन् 1930 ई में मटिअरिया के ओझा परिवार के द्वारा की गई थी। मंदिर हरबोड़ा नही के किनारे स्थित है।
तैयारी
सावन में हर वर्ष यहां भगवान शिव की काफी भव्यता से पूजा की जाती है। रामायण पाठ से लेकर शिव पुराण का पाठ भी कराया जाता है। कावरियों के लिए यह शिव मंदिर विशेष महत्व रखता है। क्षेत्र के लगभग सभी कावरियां यहां बाबा पर जल चढ़ाने पहुंचते हैं।
पुजारी शंभूनाथ तिवारी का कहना है कि इस मंदिर में सावन के आरंभ होते हीं मानो जैसे साक्षात भगवान शिव विराजमान हो जाते हैं। आस्था पूर्वक जो लोग यहां जल चढ़ाते हैं। भगवान भोले उनकी सारी इच्छाओं को पूरी करते हैं। इस कारण श्रद्धालुओं का विश्वास और भी बढ़ता जाता है।
शशिभूषण ओझा का कहना है कि यह मंदिर शहर में प्रवेश करने के साथ हीं मिलता है। नदी किनारे स्थित होने से यह मंदिर एक तरह से शहर वासियों के लिए वरदान का काम करता है। नदी का जल स्तर कितना भी बढ़ जाए। मंदिर को आज तक कोई नुकसान नही हुआ।