नागपंचमी पर हुई नाग देवता की पूजा
लोक आस्था व सौहार्द के पर्व नागपंचमी पूजा के अवसर पर थरुहट क्षेत्र के कई गांवों में मेले का आयोजन किया गया।
बगहा। लोक आस्था व सौहार्द के पर्व नागपंचमी पूजा के अवसर पर थरुहट क्षेत्र के कई गांवों में मेले का आयोजन किया गया। सांपों के साथ-साथ इस दिन भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि रामावतार में लक्ष्मण जी एवं कृष्णा अवतार में बलराम जी के रुम में शेषनाग ने अवतार लिया था। आमतौर पर सांपों में नाग जाति की ही पूजा की जाती है। नाग पूजन की परंपरा हमें सापों के प्रति संवेदनशील बनाती है। ऐसी मान्यता है कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी नागों को आनंद देने वाली तिथि है। इस लिए इस दिन को नागपंचमी के रुप में जाना जाता है। इस दिन निकलने वाला एतिहासिक महावीरी झंडा जुलूस रविवार को परंपरागत ढंग से थरुहट के गांवों में धूमधाम से निकाला गया। पूरा जुलूस बजरंगबली के जयकारे से गूंज रहा था। डीजे व गाजेबाजे के साथ निकले इस जुलूस में थरुहट के युवाओं ने लाठी, भाले व डंडा के साथ अपने शौर्य कला का प्रदर्शन कर झांकिया निकाली। इस प्रदर्शन को देखने के लिए उमड़ी जन सैलाब की सुरक्षा के लिए स्थानीय पुलिस पूरे दलबल के साथ मुस्तैद रहे। इस दौरान बलूआ, छत्रौल, कुनई, भेलाही, बिनवलिया व गोनौली सहित दर्जनों गांवों में मेले का आयोजन किया गया।