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शीतल राय ने की थी शनिचरी कोठी के मैनेजर की पिटाई

बात उन दिनों की है जब भारत परतंत्र था व निलहों के अत्याचार से चंपारण के किसान त्रस्त थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Aug 2018 12:32 AM (IST)Updated: Wed, 15 Aug 2018 12:32 AM (IST)
शीतल राय ने की थी शनिचरी कोठी के मैनेजर की पिटाई
शीतल राय ने की थी शनिचरी कोठी के मैनेजर की पिटाई

बेतिया। बात उन दिनों की है जब भारत परतंत्र था व निलहों के अत्याचार से चंपारण के किसान त्रस्त थे। किसी में हिम्मत नहीं थी कि तीन कठिया प्रथा का विरोध करे। जो विरोध करता था उसकी आवाज दबा दी जाती थी। लाल पगड़ी वाले चौकीदार को देखकर लोग गांव छोड़कर भाग जाते थे। ऐसे में लौरिया प्रखंड के मठिया गांव निवासी दुलारमन राय के बड़े पुत्र शीतल राय ने तीन कठिया प्रथा के विरोध स्वरूप शनिचरी कोठी के मैनेजर केनी की पिटाई कर दी थी। इसके लिए अंग्रेज हुकूमत ने उन्हें जेल भेज दिया। कहते हैं कि उन्हें पकड़कर जब जेल भेजा जा रहा था, तो उनके पीछे पीछे सैकड़ों लोग बेतिया तक पहुंच गए जहां से आरजु मिन्नत कर शीतल राय ने ही लोगों को वापस भेज दिया। बेतिया जेल में भी उस समय यातना स्वरूप कैदियों से काम कराए जाते थे। शीतल राय ने उसका विरोध किया और अनशन पर बैठ गए। उनके साथ जेल के सभी कैदी अनशन पर बैठ गए जिससे घबड़ाकर उन्हें बक्सर जेल भेज दिया गया। कुछ दिनों बाद जमानत पर जेल से छूटकर वे पुन: घर आए और शनिचरी में चल रहे नील की गोठी बनाने वाले घर को फूंक दिया और पुन: जेल गए। आजादी का ऐसा दिवाना जिसने शादी तो की, लेकिन शादी के कुछ सप्ताह बाद से कभी घर के भीतर नहीं गए। डर था कि बच्चे हो जाएंगे तो परिवार के मोह माया में फंसकर अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाएंगे। चार भाइयों में सबसे बड़े शीतल राय के पिता शनिचरी कोठी के ही ठेकेदार थे। उनके सामने एक दिन कोठी के मैनेजर ने ईंख खाने के कारण एक मजदूर की पिटाई कर दी और उस दिन के बाद कभी कोठी नहीं गए। अंग्रेजी सल्तनत में तीन कठिया प्रथा किसानों के लिए बहुत ही कष्टदायक थी। एक बिगहा खेत में लगान स्वरूप तीन कट्ठे खेत में नील की खेती करनी होती थी। वह खेत भी कोठी के का¨रदों द्वारा चुना गया ही होता था। अपनी खेत बोने से पहले नील की खेत तैयार करनी होती थी। तैयारी के बाद कोठी में खबर करनी होती थी जिसकी जांच अंग्रेज अफसर स्वयं या किसी विश्वासी क¨रदे से कराता था। जांच भी गजब का। घोड़ा से जाकर खेत की जांच होती थी। घोड़ा का खुर खेत में डूब जाता था तो खेत तैयार माना जाता था। जिस खेत में घोड़ा का खुर नहीं डूबता खेत को पुन: तैयार कराया जाता। उस समय तक किसान अपना खेती नहीं कर पाता। शीतल राय के साथ भी यही घटना घटी। आज जहां मठिया बाजार है, उसी खेत को नील की खेती के लिए चुना गया था। खेत तैयार था। कोठी का जमादार भूखल ¨सह खेत की जांच करने आया और खेत को तैयार न पाकर शीतल राय को गाली दे दी। इसपर वीर सपूत शीतल राय ने जमादार के साथ-साथ मैनेजर केनी की भी पिटाई कर दी।

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