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पानी के लिए तरस रहे बार्डर क्षेत्र के स्कूली बच्चे

बेतिया। नरकटियागंज सहोदरा भारत नेपाल सीमा से सटे बार्डर क्षेत्र के स्कूली बच्चें आजादी के 72 वर्षों बाद भी पानी के लिए तरस रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 11:39 PM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 11:39 PM (IST)
पानी के लिए तरस रहे बार्डर क्षेत्र के स्कूली बच्चे
पानी के लिए तरस रहे बार्डर क्षेत्र के स्कूली बच्चे

बेतिया। नरकटियागंज, सहोदरा : भारत नेपाल सीमा से सटे बार्डर क्षेत्र के स्कूली बच्चें आजादी के 72 वर्षों बाद भी पानी के लिए तरस रहे हैं। जबकि आजादी के बाद से अब तक कई गांवों को विकसित कर दिया गया। भिखनाठोरी गांव के मोतीलाल पासवान, शेषनाथ यादव, नगीना साह, राजेन्द्र सिंह, जितेंद्र सिंह, कंचन देवी, जयंतकांत यादव, मदन साह, हरेंद्र साह, दरोगा साह, इंदल मियां, पुन्न सिंह, दयानन्द गुप्ता, दयानन्द साहनी, कृष्ण मोहन ठाकुर, डा. आलम, झुन्ना मियां, प्रमोद साह, लक्ष्मण साह, मोबिन अहमद, प्रेम गुप्ता, मुनचुन देवी, देवंती देवी, जैनब खातून आदि का कहना है कि भिखनाठोरी गांव आजादी से पहले से बसा है। जब अंग्रेजों ने यहां पर रेल चलाई। तभी यहां रेलवे का गेस्ट हाउस निर्माण हुआ। फिर भी इस गांव के एकलौते राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पानी की व्यवस्था नहीं की जा सकी। भला शौचालय की बात तो काफी दूर है। विडंबना यह कि विद्यालय में मध्याह्न भोजन करने के पश्चात बच्चें नदी का पानी पीते हैं। जिससे अनेकों प्रकार के बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि अब तो गर्मी का मौसम आ रहा है। ऐसे में नदी का पानी भी धीरे धीरे सुख जाएगा। इस परिस्थिति में बच्चों की मुश्किलें और भी बढ़ जाएगी। जबकि इस समस्या से यहां के जन प्रतिनिधि और अधिकारी दोनों अवगत हैं। बावजूद इसके विद्यालय में बच्चों के लिए पानी पीने की व्यवस्था नहीं की गई। बहरहाल बार्डर क्षेत्र के विद्यालय में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था का नहीं होना व्यवस्था के लिए एक बड़ा सवाल बना है।

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बयान

भिखनाठोरी पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण विभाग की ओर से यहां चापाकल लगवाना कठिन है। इसके लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी से सहयोग लिया जाएगा। ताकि बच्चों के लिए पानी की नियमित व्यवस्था हो सके।

गगनदेव राम

बीईओ, गौनाहा


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