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कहीं मार्सी लैंड न बन जाए उदयपुर संरक्षित क्षेत्र का सरैयामन

उदयपुर सुरक्षित क्षेत्र के मध्य में स्थित सरैयामन झील में जलीय खरपतवार की अधिकता के चलते इसके अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 12:32 AM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 05:10 AM (IST)
कहीं मार्सी लैंड न बन जाए उदयपुर संरक्षित क्षेत्र का सरैयामन
कहीं मार्सी लैंड न बन जाए उदयपुर संरक्षित क्षेत्र का सरैयामन

बेतिया। उदयपुर सुरक्षित क्षेत्र के मध्य में स्थित सरैयामन झील में जलीय खरपतवार की अधिकता के चलते इसके अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यहां जलीय खरपतवार की भरमार है। जानकारों का मानना है कि यदि समय रहते जलीय खरपवार को निकालने के लिए स्थाई व्यवस्था नहीं की गई, तो आने वाले कुछ दशकों में यह सुंदर झील मार्सी लैंड में तब्दिल हो जाएगा। हालांकि इस झील में मौजूद जलीय खरपतवार को हटाने के लिए वन विभाग की ओर से पहल भी जाती है, लेकिन यह पहल पर्याप्त नहीं है। जबकि ऐसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल को संरक्षित करने के लिए जनप्रतिनिधि भी उदासीनता दिखाते हैं। इसे संरक्षित रखने के लिए प्रशासनिक एवं जनप्रतिनिधि दोनों ही स्तर पर पहल करने की जरूरत है। चार दशक पहले तक इस झील के पानी में औषधीय गुण वर्तमान थे। इसका पानी पीने के लिए बाहर भी भेजे जाते थे। लेकिन जलीय खरपतवार की मौजूदगी इसकी गुणवत्ता में कमी ला दिया है। आज इसका पानी खराब हो गया है। इसका पानी अम्लिय हो गया है। केन्द्रीय मत्स्य अनुवांशिकी संस्थान, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने सरैयामन की वर्तमान हालात पर शोध भी किया है। इस दौरान मन के जल के अम्लीय होने के प्रमाण मिले है। इसका मुख्य कारण जलीय खरपतवार की मौजूदगी है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नवम्बर के अंतिम सप्ताह में विदेशी पक्षियों का आगमन सरैयामन में होता है, जो फरवरी के अंतिम सप्ताह में यहां से लौट जाती हैं। 130 प्रजाति की विदेशी पक्षियां और 90 प्रजाति की देसी प्रजाति यहीं निवास करती थी। फिलवक्त कई प्रवासी पक्षियां अब नहीं आ रही हैं। उनके नहीं आने का मुख्य कारण पानी की गुणवत्ता में कमी आना है। यहां पक्षियों का आगमन एवं उनका रहना मुख्य रूप से मछलियों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मछलियों का प्रजनन एवं बढ़वार क्षारीय पानी में बेहतर होता है। यदि पानी का पीएच 7 से ज्यादा हो, तो मछलियों का बेहतर पैदावर होगा। इसके विपरीत वर्तमान में सरैयामन के पानी का पीएच 7 से कम हो गया है। यानी इस प्राकृतिक झील के संरक्षण के लिए कई स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है, जो अब तक नहीं हो पाया है। इस बार के विधान सभा चुनाव में इस क्षेत्र के मतदाता इस बात को लेकर काफी गंभीर है कि इस प्राकृतिक झील को संरक्षित रखने के लिए उदासीनता है।

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उदयपुर वनाश्रयणी में स्थित सरैयामन एक प्राकृतिक झील है, लेकिन इसके संरक्षण पर बेहतर प्रयास नहीं किया जा रहा है। पर्यटन के ²ष्टिकोण से इस बचाना बेहद जरूरी है।

चन्द्रमा सिंह

मतदाता

नौतन विधान सभा क्षेत्र

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सरैयामन झील काफी पुराना है, यहां ईको टूरिज्म का विकास किया जा रहा है। इसके साथ ही इस झील के संरक्षित करने के लिए जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन दोनों को ही करना चाहिए।

उमाशंकर राय

मतदाता

नौतन विधान सभा क्षेत्र


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