वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में अनुदान नहीं वेतनमान जरूरी
बेतिया। पूर्व विधान पार्षद डा. चंद्रमा सिंह ने कहा है कि शिक्षा सबको सुलभ होनी चाहिए। बिहार में आज डिग्री सस्ती है लेकिन शिक्षा नहीं।
बेतिया। पूर्व विधान पार्षद डा. चंद्रमा सिंह ने कहा है कि शिक्षा सबको सुलभ होनी चाहिए। बिहार में आज डिग्री सस्ती है लेकिन शिक्षा नहीं। सरकारी नीति का परिणाम है कि विद्यालयों में अलग अलग संवर्ग के शिक्षक काम कर रहे हैं। सरकार को शिक्षकों को विश्वास में लेना होगा। वे बुधवार को स्थानीय परिसदन में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्र ने राज्य के 3300 विद्यालयों का सरकारीकरण किया था, जिसमें 54 हजार प्राथमिक विद्यालय एवं 248 डिग्री कालेजों को शामिल किया था। इसमें कार्यरत सभी शिक्षकों का सरकारीकरण कर दिया गया। समान वेतन, पेंशन की सुविधा एवं अन्य सरकारी सुविधा मिलने लगी। लेकिन 2006 में सरकार ने नीति बनाकर शिक्षकों को मानदेय पर संविदा आधारित नियोजित किया और एक ही विद्यालय में समान काम करनेवाले शिक्षकों के साथ दोहरा मापदंड होने लगा। 2006 में लागू शिक्षा नीति के बाद तीनों सुविधाएं हटा ली गयीं। संवर्ग समाप्त हो गये। वेतनमान के बदले मानदेय मिला और पेंशन की सुविधा भी समाप्त कर दी गयी। माध्यमिक शिक्षा अभिशाप बन गई। माध्यमिक शिक्षा पटरी से उतर गयी। उन्होंने पूर्व की सुविर्धा बहाल करने की मांग करते हुए कहा कि यहीं हालत वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में काम करनेवाले शिक्षकों की है। इन्हें अनुदान नही वेतनमान की आवश्यकता है। लेकिन सरकार अनुदान देने की बात कहती है। वह भी कई वर्षो से नही मिला है। उन्होंने कहा कि सरकार का सड़क, स्वास्थ्य प्रशासन पर ध्यान है लेकिन शिक्षा पर नहीं। मौके पर हृदयानंद पांडेय, अमित मिश्रा, प्रमोद राय, संजीत कुमार सिंह, लालकेश्वर प्रसाद, जीतेंद्र पाठक आदि मौजूद रहे।