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बैंकों में चल रहा खेल ,डिजिटल लेनदेन फेल

आज से दो साल पूर्व एक अप्रैल 2016 का दिन शायद ही कोई भूले। इसी दिन प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का निर्णय किया था। इसके उपरांत करीब 6 माह तक लोग नोट की किल्लत से जूझते रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Apr 2018 11:02 PM (IST)Updated: Sun, 08 Apr 2018 11:02 PM (IST)
बैंकों में चल रहा खेल ,डिजिटल लेनदेन फेल
बैंकों में चल रहा खेल ,डिजिटल लेनदेन फेल

बगहा। आज से दो साल पूर्व एक अप्रैल 2016 का दिन शायद ही कोई भूले। इसी दिन प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का निर्णय किया था। इसके उपरांत करीब 6 माह तक लोग नोट की किल्लत से जूझते रहे थे। कई लोगों की जान तक चली गई थी। इसके बाद सरकार ने डिजिटल लेनदेन के लिए कई कदम उठाये थे। दुकानों में स्वैप मशीन की सुविधा सहित अन्य कई विकल्प लागू किया गया है। लेकिन इसका लाभ छोटे शहर और मध्यम वर्ग सहित गरीब मजदूर आज भी इस सुविधा से वंचित है। कारण की आज के आधुनिक युग में फोर जी नेटवर्क के बावजूद नेटवर्क नहीं रहने से इसकी सुविधा लोगो को नही मिल रही है। सबसे बुरा हाल बगहा एक के बैंक आफ इंडिया का है। ना ही इसका एटीएम नोटबंदी के बाद से नियमित खुल रहा है। ना ही इसका स्वैप मशीन ही दुकानों में काम कर रही है। प्रबंधक हर समस्या का निदान मुजफ्फरपुर से होने की बात कहते हुए अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ दिया कर रहे है। इसके साथ ही नगर में कहने को तो दर्जनों बैंकों के एटीएम उपलब्ध है। लेकिन अधिकांश एटीएम बराबर बंद रहा करते है। कभी नो कैश का बहाना किया जाता है तो कभी तकनीकी खराबी बता कर एटीएम को बंद कर दिया जा रहा है। फरवरी 2018 से आरबीआई द्वारा बैंकों को कैश भी कम दिया जा रहा है। ऐसे में बैंक में राशि रखने वाले उपभोक्ता अपने आप को ठगे से महसूस कर रहे है। बगहा मे डिजिटल योजना पूरी तरह से सफल नही हो पा रही है। नाममात्र दुकानों पर लगी स्वैप मशीन में भी कई शोभा के वस्तु बनी हुई है। उन पैलेस के संचालक संजय कुमार ने स्वैप मशीन को दिखाते हुए कहा कि इसका नेटवर्क ही काम नही करता है। ग्राहक विनोद यादव ने कई बार अपने एटीएम से प्रयास किया। बावजूद मशीन काम नही किया। ये मशीन भी बैंक आफ इंडिया का ही है।

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कैश की किल्लत से व्यापार प्रभावित फैशन मार्ट के संचालक मो. शकील अली कहते है कि बैंक आफ इंडिया से स्वैप मशीन लिया गया है। अधिक राशि कटने के साथ इसका नेटवर्क ही काम नही करता है। इससे ग्राहक को कोई लाभ नही मिल रहा है। कैश का ही लेन देन किया जा रहा है। महारानी जी वस्त्रालय के संचालक अवधेश भाव¨सका ने कहा कि मेरे पास एचडीएफसी बैंक का स्वैप मशीन है। ये बराबर काम कर रहा है। बैंकों में कैश की परेशानी के साथ साथ एटीएम के बंद रहने से डिजिटल लेनदेन का सपना यहां ना के बराबर साकार हो रहा है।

राज रतन के मुन्ना जायसवाल ने बताया कि एसबीआई का मेरा मशीन काम करता, लेकिन सुविधा शुल्क अधिक बैंक द्वारा काटा जाता है। इससे दुकानदारों को परेशानी हो रही है। नगर मे एटीएम का बराबर नही खुलना समझ से परे है। बैंकों में कैश की कमी से उपभोक्ताओं का विश्वास बैंकों के प्रति कम हो रहा है।


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