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सड़क सुरक्षा सप्ताह: यात्रा के दौरान न करें ईयरफोन का इस्तेमाल, रहे सावधान

पश्चिम चंपारण। आए दिन सड़क पर हो रही दुर्घटनाओं ने ट्रैफिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसका कारण सड़कों पर बढ़ी वाहनों की संख्या है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 01:10 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 06:16 AM (IST)
सड़क सुरक्षा सप्ताह: यात्रा के दौरान न करें ईयरफोन का इस्तेमाल, रहे सावधान
सड़क सुरक्षा सप्ताह: यात्रा के दौरान न करें ईयरफोन का इस्तेमाल, रहे सावधान

पश्चिम चंपारण। आए दिन सड़क पर हो रही दुर्घटनाओं ने ट्रैफिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसका कारण सड़कों पर बढ़ी वाहनों की संख्या है। अधिकांश दुर्घटनाओं की जांच के दौरान यह सामने आता है कि घटना के शिकार लोग ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कर रहे थे। कई ऐसे लोग हैं जो दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। दुर्घटनाओं के कारण कुछ परिवारों की तो खुशियां ही रूठ गई हैं। सच तो यह है कि सड़क पर पैदल चलने व सड़क पार करने के दौरान भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इसलिए कभी भी सड़क पर बाएं तरफ चलने की सलाह दी जाती है। उसी तरह सड़क को पार करने के दौरान भी वाहनों का आवागमन, निर्णय क्षमता, जेब्रा क्रासिग आदि का ध्यान रखना जरूरी होता। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में निर्णय व संयोजन का अभाव होता है, इसलिए उन्हें अकेले सड़क पार करने नहीं देना चाहिए।

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अनदेखी के कारण हुए दुर्घटना के शिकार

नगर के पुरानी बाजार निवासी अभय कुमार का कहना है कि थोड़ी सी अनदेखी के कारण दुर्घटना हो गई। घटना में उनका पैर टूट गया। दो माह तक घर पर ही रहे। इसी तरह मिल बहुअरी निवासी सुरेश प्रसाद सड़क पार करने के दौरान चोटिल हो गए। जिससे हाथ टूट गया। सबुनी रोड निवासी नुरैन तो सड़क पर पैदल चलने के दौरान वाहनों के हार्न की आवाज सुनकर गिर गए। कहते हैं कि गलत साइड में था। इसलिए दुर्घटना का शिकार हो गया। ---------------------------

यात्रा के दौरान न लगाएं इयरफोन :- आए दिन हो रही दुर्घटना का बड़ा कारण मोबाइल से बातचीत या इयरफोन का इस्तेमाल है। आंकड़े बताते हैं कि दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। कई बार तो ईयरफोन के कारण वाहनों का हार्न नहीं सुन पाने से दुर्घटनाएं हो गईं। सड़क पर चलने, सड़क या रेल ट्रैक पार करने व सुरक्षा के प्रति लापरवाही जानलेवा बन जाती है। इसलिए हमें परहेज करना चाहिए।

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तय होना चाहिए मानक :-

-ड्राइविग लाइसेंस वैसे लोगों को निर्गत कर दिया जाता है जो खेतों में ट्रैक्टर चलाते हैं। जब वे किसी गाड़ी को लेकर सड़क पर आते हैं तो उनको ट्रैफिक नियमों की समझ़ नहीं होती है। इसलिए इसका मानक तय होना चाहिए।

- कम से कम मैट्रिक पास को हीं ड्राइविग लाइसेंस का प्रावधान हो।

- योग्य प्रशिक्षक से प्रशिक्षण लेने के बाद हीं इसको निर्गत किया जाए।

- आवेदक के उम्र का सत्यापन आवश्यक है।

-लाइसेंस निर्गत करने से पहले भौतिक रूप से इसका परीक्षण हो कि आवेदक मानक पर खरे उतरते हैं कि नहीं।

- कमर्शियल वाहनों के लिए लाइसेंस देने से पहले स्वास्थ्य के साथ अन्य परीक्षण आवश्यक।

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इन बातों का रखें ध्यान :-

जब तक आदमी सजग नहीं होगा। जागरूक नहीं होगा। यातायात के नियमों का सही ढंग से पालन नहीं हो सकता है। इसलिए कभी भी वाहन चलाते समय घर परिवार का ख्याल रखें। साथ ही सुरक्षित वाहन चलाना सुनिश्चित करें।

- तनाव को दूर रखना जरूरी है।

-नशे के दौरान व रात्रि जागरण के उपरांत ड्राइविग करने से परहेज करना चाहिए।

-कभी भी रफ्तार 40 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक स्पीड से वाहन नहीं चलाएं।

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डिपर का प्रयोग आवश्यक :-

दिन में अपर-डिपर की आवश्यकता कम होती है। पर, रात को इसका इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। इससे वाहनों की स्थिति का पता चलता है। साथ ही सामने वाले वाहन चालकों को संभलने का मौका मिलता है। अधिकतर रात में इसके प्रयोग नहीं करने से सामने वाला वाहन दो पहिया है या चार पहिया, ट्रक है या बस इसका पता नहीं चलता है। जिससे छोटे वाहन चलाने वाले इसके चपेट में आ जाते हैं।

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