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पुश्तैनी परंपरा निभा रहे कच्ची मिट्टी को आकार देने वाले हाथ

बगहा। दीयों की रोशनी के बिना दीपावली अधूरा है। आधुनिक चकाचौंध में भी मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा बरकरार है। पूजा-पाठ से लेकर लोग घरों को सजाने में भी मिट्टी के दीये का इस्तेमाल अधिक करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 11:11 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 06:27 AM (IST)
पुश्तैनी परंपरा  निभा रहे कच्ची मिट्टी को आकार देने वाले हाथ
पुश्तैनी परंपरा निभा रहे कच्ची मिट्टी को आकार देने वाले हाथ

बगहा। दीयों की रोशनी के बिना दीपावली अधूरा है। आधुनिक चकाचौंध में भी मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा बरकरार है। पूजा-पाठ से लेकर लोग घरों को सजाने में भी मिट्टी के दीये का इस्तेमाल अधिक करते हैं। ऐसे में कुम्हारों की व्यस्तता बढ़ गई है। हरनाटांड़ सहित थरुहट क्षेत्र में कुम्हार जोर शोर से दीये बनाने में जुटे हैं। दीपावली को बस कुछ दिन हैं। जैसे जैसे त्योहार पास आ रहे हैं वैसे वैसे मिट्टी के दीये बनाने वालों का उत्साह बढ़ता जा रहा है। उन्हें उम्मीद है कि इस बार लोग अधिकाधिक मात्रा में मिट्टी के दीये का प्रयोग करेंगे और ये कुम्हार भी अपना त्योहार खुशी से मना सकेंगे। लेकिन कितने लोग हैं जो इस बार इन दीयों से अपना घर आंगन सजाएंगे या पूजा में प्रयोग करेंगे। ये आने वाले दिन में ही पता चलेगा। गौरतलब है कि कच्ची मिट्टी को आकार देने वाले मेहनतकश हाथ हर साल बड़े ही प्यार और मेहनत से तरह तरह के दीये बनाते हैं। दीये बनाने वालों को एक बार फिर उम्मीद जगी है कि इस बार त्योहार के मौके पर दीया उनकी जिदगी में भी उजाला और खुशियां ले कर आएगा। इसी उम्मीद में दीये बनाने का काम अंतिम चरण में चल रहा है।

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हरनाटांड़ सहित थरुहट क्षेत्र में चाइनिज दीये का प्रभाव नहीं :

हरनाटांड़ क्षेत्र में मिट्टी के बने दीया की अपेक्षा चाइनिज का बाजार में विशेष प्रभाव नहीं है। दीया बनाने वाले हरनाटांड़ निवासी कुम्हार त्रिवेणी पड़ित कहते हैं कि दीपावली को बनाए गए सभी दीप की बिक्री आसानी से हो जाती है। कुछ वर्ष पहले तक चाइनिज दीया ग्राहक अधिक पसंद करते थे। इधर कुछ वर्षो से मिट्टी के बने दीये अपना स्थान पर बनाए हुए हैं। हालांकि आज दुकानों पर कुछ लोग दीये की जगह मोमबत्ती को तवज्जो जरूर देते हैं, लेकिन बावजूद इसके दीयों की बिक्री बेहतर है। उन्होंने बताया कि दीया बनाने का हमारा पुश्तैनी काम है। घाटा हो या फायदा, काम करना पड़ता है।

सनातन धर्म में शुद्धता के प्रतीक मिट्टी के दीये को माना गया है पवित्र :

दीपावली में मिट्टी के दीये का काफी महत्व है। सनातन धर्म में मिट्टी के दीये को पवित्र माना गया है। मंदिरों में पूजा-पाठ के साथ घरों में मिट्टी के दीये का उपयोग करते हैं। यह शुद्धता का प्रतीक है। इसी उद्देश्य से दीपावली व छठ पर्व में मिट्टी के दीये का उपयोग हमलोग करते हैं। मिट्टी के बने दीये कम पैसे में अच्छे मिलते हैं। उन्होंने कहा कि मिट्टी का दीया पांच तत्वों से मिलकर बनता है, जिसकी तुलना मनुष्य के शरीर से की जाती है।

रसिक बिहारी मिश्र, आचार्य हरनाटांड़


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