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संस्कारों के साथ जीने की कला सिखाती रामायण

बगहा एक प्रखंड के परसौनी के निकट हमीरा माई स्थान परिसर में आयोजित श्री शतचंडी महायज्ञ व श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ में प्रवचन सुनने के लिए सुदूर गांवों से लोगों की भीड़ गुरुवार की रात में उमड़ी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Apr 2019 12:36 AM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 12:36 AM (IST)
संस्कारों के साथ जीने की कला सिखाती रामायण
संस्कारों के साथ जीने की कला सिखाती रामायण

बगहा । बगहा एक प्रखंड के परसौनी के निकट हमीरा माई स्थान परिसर में आयोजित श्री शतचंडी महायज्ञ व श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ में प्रवचन सुनने के लिए सुदूर गांवों से लोगों की भीड़ गुरुवार की रात में उमड़ी। प्रवचन सुनने के लिए अधिक संख्या में महिलाएं पहुंचीं। श्री अमृता नन्द महाराज ने कहा कि अयोध्या नगरी जीवन जीने की कला सिखाती है। अयोध्या की मिट्टी नमन के योग्य है। रामायण की शिक्षा जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए । रामायण मानव को संस्कारों के साथ जीने की कला सिखाती है। गृहस्थ को अपने परिवार से और संतों को भक्तों के साथ अच्छा व्यवहार करना सीखना है तो रामायण का अध्ययन करना चाहिए। त्रेता युग में एक रावण था,परन्तु कलियुग में प्राय: परिवार में रावण प्रवृति के लोगों का वास कर रहे है। ऐसे लोगों को रामायण का पाठ करने के लिए कहना चाहिए। ताकि उनके अंदर की दुर्विचार का नाश हो। उन्होंने कहा कि कलियुग में मानव के कल्याण के लिए घर-घर में राम रुपी विचारों को स्थापित करना होगा।वही अरणी मंथन व हवन के साथ ही यज्ञ प्रारम्भ हो गया। रात में अयोध्या से पधारे राम लीला मंडली लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। यज्ञ में दूर- दूर से आये संतों ने भजन कीर्तन किया । परिसर में लगे मेले में महिलाओं व बच्चों ने जमकर खरीदारी भी की।

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