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शुद्ध पानी के लिए जलमीनार की ओर निहारते रह गए सिकटा गांव के लोग

बेतिया। सिकटा प्रखंड मुख्यालय में करीब दस साल पहले लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की ओर से जलमीन

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 12:06 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:07 AM (IST)
शुद्ध पानी के लिए जलमीनार की ओर निहारते रह गए सिकटा गांव के लोग
शुद्ध पानी के लिए जलमीनार की ओर निहारते रह गए सिकटा गांव के लोग

बेतिया। सिकटा प्रखंड मुख्यालय में करीब दस साल पहले लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की ओर से जलमीनार का निर्माण किया गया ताकि सिकटा वासियों को शुद्ध जल मिल सके। इसके निर्माण में करीब 94 लाखों रुपए खर्च हुए और

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पाइप से पानी भी दौड़ा दी गई। मगर कुछ ही दिनों बाद इससे पानी मिलना बंद हो गया। लोग एक तरफ जल मीनार को निहारते हैं तो दूसरी तरफ निर्माण के बाद विभागीय लापरवाही को। यहां के लोगों में जल मीनार बड़ा मुद्दा है। बता दें कि अधिकारी व कर्मियों के आवास के बीच में वह जलमीनार खड़ा है। हालांकि लोक

स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के सहायक अभियंता जलमीनार के लगातार चलने का दावा करते है, जबकि लोग दूषित पानी पीने को मजबूर है। दूषित पानी पीने से

उत्पन्न विभिन्न रोगों से निजात पाने के लिए हीं सरकार के राष्ट्रीय

ग्रामीण पेयजल जलापूर्ति योजना के तहत 2010 में इस जलमीनार का निर्माण शुरू किया गया जो जल्द ही बनकर तैयार भी हो गया। जगह-जगह पाइप भी बिछा दिए गए। जलापूर्ति शुरू कर दी गई। लेकिन कुछ ही दिनों बाद पानी मिलना बंद हो गया। 93.83 लाख की लागत से इसका शिलान्यास 13 फरवरी 2010 को तत्कालीन लोक

स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने किया था।

ग्रामीणों ने बताया कि शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए उस समय प्रखंड कार्यालय, थाना, पीएचसी, आदर्श बालक मध्य विद्यालय, बर्दही, धर्मपुर समेत सिकटा बाजार में पाइप दौड़ाकर नल भी लगाया गया था। निर्माण के बाद जलापूर्ति भी की गई, जो एक सप्ताह भी नहीं चल सका। बिछाए गए पाइप कई जगह ब्रेकेज होने लगे। जिससे पानी बेकार होने लगी और अंतत: जलापूर्ति को रोकना पड़ा था।

जलमीनार परिसर में उगे खरपतवार स्थानीय लोग इसकी हकीकत बयां कर रहे हैं। बर्दही के अहमद सिकंदर, धर्मपुर के भरत प्रसाद, नारद साह, सिकटा बाजार के शंभू प्रसाद कानन, उत्कर्ष उर्फ मणि श्रीवास्तव, महेन्द्र महतो, कमला प्रसाद गुप्ता, रंजन कुमार अग्रवाल, राहुल पटवा, मुकुल कुमार गुप्ता, रुपेश कुमार बरनवाल, सत्यप्रकाश सर्राफ, जयप्रकाश मधेशिया, संजय राज पटेल आदि

ने कहा कि जलमीनार जब से बना है, तब से सिर्फ पानी टंकी ही नजर आता है। इसका पानी निकलते कभी नहीं देखे। पीएचईडी के सहायक अभियंता बालमुकुंद कुमार ने बताया कि उस समय मैने कैंप करके जलापूर्ति कराया था। रकटियागंज- रक्सौल रेलखंड के आमान परिवर्तन को लेकर बाजार की तरफ जाने वाला पाइप क्षतिग्रस्त हो गया। जिससे उधर की आपूर्ति ठप कर दी गई। उन्होंने रेलवे लाइन से दक्षिण जलापूर्ति होने की बात बताई है। इसके लिए हरेराम भारती ऑपरेटर वहां कार्यरत है।


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