बाढ़ आने पर इलाज को तरस जाते हैं दियारा के लोग
बगहा। गंडक दियरा के लोगों को बरसात और बाढ़ के दिनों में दर-दर भटकना पड़ता है।
बगहा। गंडक दियरा के लोगों को बरसात और बाढ़ के दिनों में दर-दर भटकना पड़ता है। गंडक नदी की गोद में बसे आधा दर्जन गावों के लोग जुलाई और अगस्त माह में इलाज के लिए महरूम हो जाते हैं। गंभीर मरीजों को 20 किमी से अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। प्रशासन की ओर से नाव मुहैया कराने के दावे भी ऐन वक्त पर काम नहीं आते।
अस्पतालों तक पहुंच नहीं हो पाने के कारण अधिकांश मरीजों की जिदगी झोला छाप डॉक्टरों पर निर्भर हो जाती है। प्रशासन की ओर से ऐसे इलाकों में नौका एंबुलेंस की व्यवस्था तो की गई है लेकिन कई इलाकों में यह पहुंच नहीं पा रही है। ऐसे में पीड़ितों के सामने बाढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चुनौती बनी रहती है।
भितहा के गंडक दियारा में बसे सेमरबारी गांव के रामजतन यादव ने बताया कि जब भी बाढ़ आती है इलाज के लिए भटकना पड़ता है। समय से सरकारी नाव उपलब्ध नहीं होने के कारण खाट के सहारे ही मरीजों को बाढ़ के पानी से बाहर निकलना पड़ता है। वहीं पीएचसी भितहा की दूरी 15 से 20 किलोमीटर होने के कारण कई लोग रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। मानपुर पंचायत के स्वामीनाथ यादव का कहना है कि दियरा में कोई उप स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं बना है जिससे बरसात और बाढ़ के समय में मरीजों को बेहतर इलाज हो सके।
आगामी बाढ़ को देखते हुए स्वास्थ्य कर्मियों की टीम गठित की जा रही है। जलजमाव वाले इलाके में ब्लीचिग पाउडर छिड़काव के लिए पर्याप्त मात्रा में पाउडर उपलब्ध है। मेडिकल टीम दियरा के हर गांव में पहुंचकर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराएगी।
मनोरंजन कुमार, पीएचसी प्रभारी
भितहा