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13 दिनों के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को चटाई थी धूल

नरकटियागंज में विजय दिवस के अवसर पर उच्च विद्यालय के प्रांगण से स्काउड गाइड की रैली निकली। स्काउट के बच्चों ने बैंड धुन बजाया। स्काउट गाइड के प्रशिक्षक शिव कुमार साह ने कहा कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में विजय पर अपने उन्हें तत्कालीन परिस्थितियों और भारतीय सेना की शौर्य गाथा का परिचय दिया और युद्ध में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 12:51 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 06:18 AM (IST)
13 दिनों के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को चटाई थी धूल
13 दिनों के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को चटाई थी धूल

बेतिया । नरकटियागंज में विजय दिवस के अवसर पर उच्च विद्यालय के प्रांगण से स्काउड गाइड की रैली निकली। स्काउट के बच्चों ने बैंड धुन बजाया। स्काउट गाइड के प्रशिक्षक शिव कुमार साह ने कहा कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में विजय पर अपने उन्हें तत्कालीन परिस्थितियों और भारतीय सेना की शौर्य गाथा का परिचय दिया और युद्ध में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। उन्होंने कहा कि 1970 में पाकिस्तान में चुनाव हुए। उस समय पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के नाम से उस देश के दो भौगोलिक हिस्से थे। चुनाव में आवामी लीग को पूर्वी पाकिस्तान के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी मिली। फिर उसने सरकार बनाने का दावा ठोका, जो तत्कालीन पाकिस्तानी शासक जुल्फिकार अली को नागवार लगी। इसके बाद उस देश की सत्ता के केंद्र पश्चिमी पाकिस्तान की ओर से पूर्वी पाकिस्तान पर यातनाएं शुरू हुई। आवामी लीग के शेख मुजीबुरहमान को गिरफ्तार कर लिया गया। पूर्वी पाकिस्तान में कत्लेआम शुरू हुए। हालात ये बन गए कि वहां से शरणार्थी भारतीय क्षेत्र में भी प्रवेश करने लगे। इससे भारत पर दबाव बढ़ने लगा। भारत ने जब प्रतिकार किया तो पाकिस्तान भारत पर हमला करने की धमकी देनी शुरू की, जिसके बाद भारतीय सेना पाकिस्तान के विरुद्ध मोर्चा खोल दी। 3 दिसंबर 1971 की रात करीब 11 बजे इंदिरा गांधी ने आकाशवाणी से देश के लोगों को उस परिस्थिति से अवगत कराया। साथ ही भारतीय सेना को पाकिस्तानी सेनाओं की हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने का आदेश मिला। स्थिति यह बनी कि युद्ध में भारतीय नौसेना उसके कराची तक पहुंच गई थी। पाकिस्तान चौतरफा घिर गया। उसके लेफ्टिनेंट जनरल और कमांडर पूर्वी कमान एके नियाजी को हथियार डालना पड़ा। प्रशासनिक और राजनीतिक केंद्र कराची भी भारतीय सैनिकों से घिर चुका था। आखिरकार मुक्ति वाहिनी सेना के आगे पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और ऑपरेशन ट्राइडेंट सफल हुआ। इस दौरान भारत ने पश्चिमी पाक की ओर 5795 वर्ग मील भूमि पर कब्जा भी कर लिया था। हालांकि वह भूमि शिमला समझौते के तहत उसे अच्छे पड़ोसी बनने के वायदे पर लौटा दी गई। तत्कालीन पाक राष्ट्रपति याहिया खान उस युद्ध में अपनी कमजोर सेना व अकुशल रणनीति के कारण बुरी तरह पराजित हुए और 16 दिसंबर को बांग्लादेश का उदय हुआ।

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