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आजादी के अमृत महोत्सव पर केंद्रीय विद्यालय को मिला भवन, उच्च शिक्षा को मिली उड़ान

बेतिया । आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में कोरोना के कारण विपरीत परिस्थिति होने के बावजूद शिक्षा को नई उड़ान मिली। वर्षों से गोदाम में संचालित केंद्रीय विद्यालय को जहां अपना भवन मिल गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 11:08 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 11:08 PM (IST)
आजादी के अमृत महोत्सव पर केंद्रीय विद्यालय को मिला भवन, उच्च शिक्षा को मिली उड़ान
आजादी के अमृत महोत्सव पर केंद्रीय विद्यालय को मिला भवन, उच्च शिक्षा को मिली उड़ान

बेतिया । आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में कोरोना के कारण विपरीत परिस्थिति होने के बावजूद शिक्षा को नई उड़ान मिली। वर्षों से गोदाम में संचालित केंद्रीय विद्यालय को जहां अपना भवन मिल गया। वहीं आजादी के बाद अब तक किराए के भवन में संचालित शिक्षा विभाग के कार्यालय को अपना भवन मिलने की उम्मीद बढ़ी है। बहुमंजिली इमारत की आधारशिला रखी गई है। निर्माण कार्य में तेजी लाने को लेकर नियमित कड़ाई भी हो रही है। 70 से अधिक ग्राम पंचायतों में संचालित मध्य विद्यालयों को उत्क्रमित कर हाईस्कूल बनाया गया है। एमजेके कॉलेज के बाद अब रामलखन सिंह यादव कॉलेज में भी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू होने की संभावना बढ़ गई है। जिले के दोनों कॉलेजों में कई वोकेशनल कोर्स से छात्रों की जिदगी संवर रही है। आरएलएसवाई कॉलेज में विश्वविद्यालय का एक्सटेंशन काउंटर इसी साल खुल जाने की संभावना है। जिससे छात्रों को मुजफ्फरपुर की दौड़ लगाने से निजात मिलेगी। जिले का साठी बाजार एजुकेशन हब के रूप पूरे बिहार में विख्यात हो गया है। यहां तकनीकी शिक्षा के कई केंद्र संचालित हैं। बीएड कॉलेज एवं आईटीआई कॉलेज में बिहार के अन्य जिलों के छात्र भी आकर अध्ययन कर रहे हैं। सेवानिवृत शिक्षक मनीन्द्र प्रसाद ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में जिले का काफी विकास हुआ है। कई प्राइवेट शिक्षक संस्थाएं आईआईटी, जेई व नीट की तैयारी कर छात्रों को उड़ान दे रही हैँं।

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पवन ने गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए त्याग दी सरकारी नौकरी

फोटो-- 15

नगर के सुप्रिया सिनेमा रोड निवासी पवन कुमार भौतिकवादी युग में अर्थ की चिता छोड़ शिक्षा दान का अनूठा मिसाल हैं। उन्होंने गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए खुद की सरकारी नौकरी त्याग दी। पिछले सात वर्ष में करीब 5000 गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर बेहतर मुकाम पर पहुंचाने में कामयाब हुए हैं। पवन कुमार के पिता भारती मित्र अमना उर्दू उच्च विद्यालय में प्रधानाचार्य थे। पिता को बच्चों की पढ़ाते देख उनके मन में भी बच्चों को पढ़ाने की ललक बचपन से रही। ग्रेजुएशन के बाद वर्ष 2012 में सिविल कोर्ट बेतिया में क्लर्क के पद पर नौकरी लग गई। लेकिन उनपर तो शिक्षा दान करने का जुनून सवार था। सो, नौकरी छोड़ गरीब बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने लगे। घर की एक भाग को शिक्षा का मंदिर बना दिया है।पवन के पढ़ाए छात्र संजय कुमार ग्रामीण बैंक में, आशीष कुमार बीएसएफ में, राहुल कुमार दुबे यूनियन बैंक में, तुलसी महतो सिविल कोर्ट में, उपेंद्र कुमार रेलवे में कार्यरत है। यूनियन बैंक के राहुल कुमार दुबे ने बताया कि उनके जीवन में पवन कुमार का काफी योगदान है। उनके पढ़ाई के बदौलत ही आज सरकारी जॉब कर रहे हैं।


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