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गन्ने की फसल का बेहतर विकल्प होगा तेल ताड़

उत्तर बिहार के किसानों के लिए एक नकदी फसल की खेती की जगह एक सुनहरा अवसर प्राप्त हो सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 12:17 AM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 12:17 AM (IST)
गन्ने की फसल का बेहतर विकल्प होगा तेल ताड़
गन्ने की फसल का बेहतर विकल्प होगा तेल ताड़

बेतिया। उत्तर बिहार के किसानों के लिए एक नकदी फसल की खेती की जगह एक सुनहरा अवसर प्राप्त हो सकता है। इसमें किसानों को प्रति वर्ष इसकी खेती नहीं करनी होगी, बल्कि एक बार खेती करने के बाद उससे तीस वर्षों तक आमदनी मिलती रहेगी। तेल ताड़ के नाम से जाने जाने वाला पेड़ यहां के किसानों के लिए गन्ने की फसल की जगह बेहतर विकल्प होगा। इस पेड़ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पेड़ किसी भी तरह की भूमि में हो सकता है। यहां तक कि निचली जमीन पर भी इसे सफल रूप से किया जा सकता है। जानकार बताते हैं कि यदि किसान इसे लगाए, तो इस पेड़ से निकले फल और उसमें से तेल निकाले जाने के बाद प्रति हेक्टेयर गन्ने की फसल से तीन गुणा ज्यादा आमदनी होगी। गन्ने की फसल की तरह इसे मिल में ले जाने की जरूरत नहीं होगी। बल्कि इसका फल सरकार एवं मिल प्रबंधन के द्वारा किसान की खेत से ले लिए जाएंगे और उसके मूल्य का भुगतान 21 दिनों के बाद किसानों के खाते में राशि भेज दी जाएगी। इस क्षेत्र के किसानों को इसकी खेती इसलिए फायदेमंद है, क्योंकि एक बार तेल ताड़ के पौधे लगा दिए जाने के बाद तीस वर्षो तक फल निकलते रहेंगे। तीन वर्षों के बाद फल मिलना शुरु हो जाता है। शुरु के दिनों में तेल ताड़ के पौधों के बीच अन्तवर्ती फसलों को भी लगाकर फायदे लिए जा सकते हैं। तेल ताड़ की खेती यहां के किसानों के लिए फायदेमंद बताई जा रही है कि इसमें गन्ने की फसल की तरह पेराई के लिए पर्ची की जरूरत भी नहीं होगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के अधीन माधोपुर में वर्ष 2009 में पहली बार लगाए गए थे। इसके बाद तीन चरण में पौधे लगाए गए। सभी के परिणाम बेहतर निकले हैं। भारत सरकार के आल इंडिया कॉर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट आन पाम आयल के तहत यह काम किया गया है, जिसमें क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, माधोपुर को सफलता मिली है।

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इनसेट एक वर्ष में एक हेक्टेयर तेल ताड़ से करीब 12 लाख रुपये की आमदनी यदि किसान तेल ताड़ की खेती करते हैं, तो तीसरे वर्ष से किसानों को एक साल में करीब 12 लाख रुपये की आमदनी होने लगेगी। एक पेड़ से दो से तीन फल के गुच्छे निकलते हैं। इसमें गुच्छे का वजन 25 किलोग्राम होता है। इस तरह एक हेक्टेयर जमीन में 12 माह में 625 किलोग्राम फल निकलेंगे। इससे निकलने वाला तेल 53 रुपये प्रति लीटर बिकता है। यानी एक पेड़ से एक वर्ष में करीब 8000 रुपये मिलेंगे। तेल ताड़ में पौधे एवं पौधे तथा क्यारी से क्यारी की दूरी 9 मीटर रखी जाती है। यानी एक हेक्टेयर में 143 पेड़ लगाए जाते हैं। ऐसे में एक वर्ष में एक हेक्टेयर जमीन में किसानों को 11 लाख 44 हजार रुपये आय मिलेंगे। दूसरी ओर किसान को प्रति हेक्टेयर में करीब 2 से 2.5 लाख रुपये की आमदनी होगी। इनसेट पहले तीन वर्षो में किसानों को अन्तवर्ती फसल से मिलेगी आय पहले तीन वर्षों में किसान तेल ताड़ की जमीन में अन्तवर्ती फसल के रूप में आलू, प्याज, सरसों, अरहर आदि फसलों की खेती कर सकते हैं। इससे उन्हें आमदनी मिलनी शुरू हो जाएगी। वहीं बाद के वर्षो में जब पेड़ छायादार हो जाय, तो हल्दी एवं अदरक खेती होने लगेगी। यह खेती छाया की स्थिति में होगी और किसानों को इससे अतिरिक्त आय मिलती रहेगी। इनसेट शीघ्र स्थापित किए जाएंगे प्रोसे¨सग प्लांट तेल ताड़ के पौधों से निकलने वाले फलों की पेराई के लिए शीघ्र ही प्रोसे¨सग प्लांट लगाए जाने की संभावना है। माधोपुर क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र के मुख्य वैज्ञानिक डा.अजीत कुमार ने बताया कि इसके लिए सरकार एवं निजी कंपनियों के बीच पहल की जा रही है। इसमें किसानों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।


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