वीटीआर में बाघों की संख्या पहुंची 37 पार
बगहा। देश में लगातार घट रही बाघों की संख्या से सरकारें ¨चतित हैं। बाघों को बचाने के लिए तरह तरह के उपाय किए जा रहे हैं।
बगहा। देश में लगातार घट रही बाघों की संख्या से सरकारें ¨चतित हैं। बाघों को बचाने के लिए तरह तरह के उपाय किए जा रहे हैं। इसके बावजूद स्थिति ¨चताजनक बनी हुई है। बाघों की घट रही संख्या के कारण जहां आहार श्रृंखला को लेकर खतरा उत्पन्न हो गया है वहीं पर्यावरण संतुलन को बनाए रखना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। इस माहौल में बिहार की इकलौती वाल्मीकि ब्याघ्र परियोजना में बाघों का बढ़ना शुभ संकेत हैं। बता दें कि वीटीआर में 5 शावकों को जोड़कर बाघों की कुल संख्या 37 हो गई है। रविवार को सीएम के समक्ष वन अधिकारियों ने यह आकड़ा प्रस्तुत किया। जिससे वे काफी गदगद नजर आए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यह माना कि देश में वीटीआर ही इकलौता टाइगर प्रोजेक्ट है जहां बाघों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। सीएम के ने कहा कि बाघों की सुरक्षा के लिए सरकार गंभीर है। वीटीआर में अनुसूचित जाति जनजाति के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे। इससे सुरक्षा व्यवस्था और पुख्ता होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक वक्त था जब बिहार में महज 8 बाघ बचे थे। उस परि²श्य में और आज के परि²श्य में जमीन आसमान का फर्क है। उन्होंने कहा कि बाघों की संख्या घटने का एक मात्र कारण जंगल का कटना है। इसलिए जंगल की सुरक्षा को लेकर सरकार मुहिम चला रही है। उन्होने वन अधिकारियों का हौसला अफजाई करते हुए कहा कि उनकी मेहनत से ही यह संभव हो सका है। शिक्षक की भूमिका में नजर आए सीएम :-
अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री एक शिक्षक की भूमिका में नजर आए। उन्होंने कहा कि वाल्मीकिनगर को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करने का एक मात्र उद्देश्य यह है कि यहां पहुंचने वाले देशी-विदेशी सैलानी वनों के महत्व को समझे। आज प्रदेश में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है। 24 जिलों के 275 प्रखंड सूखाग्रस्त घोषित हुए हैं। ऐसा क्यों हो रहा है, इसपर मंथन करने की जरूरत है। मेरा मानना है कि यहां आने के बाद पेड़ों के प्रति लोगों की संवेदना जगेगी और पेड़ों की सुरक्षा को लेकर लोग जागरूक होंगे। बढ़ रहा है जंगल का दायरा :-
हरित आवरण को बढ़ाने की दिशा में सरकार वर्ष 2005 से ही प्रयासरत है। मुख्यमंत्री हरियाली मिशन के तहत अबतक करीब साढ़े बाइस करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं। पौधे लगाने से जंगल का दायरा बढ़ा है। यहीं कारण है कि जंगली जीवों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।