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    Bagaha News: तड़पते रहे मरीज, दो घंटे तक चिकित्सक गायब; उपाधीक्षक से स्पष्टीकरण

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 02:17 PM (IST)

    बगहा के अनुमंडलीय अस्पताल में बुधवार शाम को डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण मरीजों को भारी परेशानी हुई। सीएस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उपाधीक्षक का एक दिन का वेतन रोक दिया और स्पष्टीकरण माँगा। मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ा कुछ को निजी अस्पतालों में जाना पड़ा। सीएस ने कार्रवाई का आश्वासन दिया और अस्पताल में चिकित्सकों की मनमानी की शिकायतें मिली हैं।

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    तड़पत रहे मरीज, दो घंटे तक गायब रहे चिकित्सक, उपाधीक्षक से स्पष्टीकरण

    संवाद सहयोगी, बगहा। अनुमंडलीय अस्पताल में मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। बुधवार की शाम दो घंटे तक अस्पताल में कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था।

    इलाज कराने मरीज भटकते व तड़पते रहे। इमरजेंसी मरीज प्राइवेट का सहारा लिए। सीएस ने इसे गंभीरता से लेते हुए उपाधीक्षक का एक दिन का वेतन अवरुद्ध करते हुए स्पष्टीकरण मांगा है।

    अनुमंडलीय अस्पताल में बुधवार की शाम बड़ी संख्या में मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचे थे,लेकिन वहां उन्हें कोई चिकित्सक नहीं मिला।

    कोई फर्श पर लेट कर चिकित्सक के आने का इंतजार करते रहे तो कई प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे। इस बीच किसी ने इसकी जानकारी सीएस को दे दी।

    सीएस ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अशोक कुमार तिवारी का एक दिन का वेतन अवरुद्ध किया और स्पष्टीकरण की मांग की है।

    नगर के वार्ड नंबर 12 के विकास बारी अपनी पत्नी मनीषा बारी के साथ अपनी 21 वर्षीय पुत्री आस्था कुमारी का पेट दर्द का इलाज कराने अस्पताल पहुंचे। अस्पताल में मौजूद संजय गुप्ता ने प्राथमिक उपचार किया।

    आराम न मिलने पर दंपती अपनी पुत्री को लेकर इमरजेंसी पहुंचे, लेकिन वहां कोई चिकित्सक नहीं मिला। जीएनएम व एएनएम की स्कूल की छात्राएं ही अस्पताल में मौजूद थीं।

    पुत्री का दर्द देखते हुए लगभग दो घंटे तक उनको चिकित्सक का इंतजार करना पड़ा। इस दौरान दर्जनों मरीज परेशान रहे।

    सीएस विजय कुमार को फोन पर पूरी जानकारी दी गई

    इस अव्यवस्था को देखते हुए विकास बारी ने सीएस विजय कुमार को फोन पर पूरी जानकारी दी। सीएस ने गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई का आश्वासन दिया।

    बता दें की अनुमंडलीय अस्पताल में चिकित्कों की मनमानी चरम पर है। आपातकाल में ही कार्यालय का काम और इंजरी लिखने का भी काम करते हैं। प्रशिक्षण ले रहे आयुष चिकित्सक भी इमरजेंसी में इलाज करते हैं।

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