राहत से वंचित हो सकते एक हजार से अधिक बाढ़ पीड़ित
मधुबनी में एक हफ्ते पहले सिसई एवं चिउरही पंचायत पूरी तरह से बाढ़ में डूबी हुई थी। यहां के लगभग डेढ़ हजार परिवार पूरी तरह से बाढ़ से त्रस्त हैं। लेकिन सीओ बाढ़ मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि साढ़े चार लाख क्यूसेक से अधिक पानी गांव में घुसेगा तभी उस गांव व क्षेत्र को बाढग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जाता है।
बगहा । मधुबनी में एक हफ्ते पहले सिसई एवं चिउरही पंचायत पूरी तरह से बाढ़ में डूबी हुई थी। यहां के लगभग डेढ़ हजार परिवार पूरी तरह से बाढ़ से त्रस्त हैं। लेकिन, सीओ बाढ़ मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि साढ़े चार लाख क्यूसेक से अधिक पानी गांव में घुसेगा तभी उस गांव व क्षेत्र को बाढग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जाता है। हालांकि दोनों पंचायतों में प्रत्येक बाढ़ पीड़ित को ?6000 उनके खाते में भेजने के लिए विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिकू सिंह द्वारा आश्वासन दिया गया था। लेकिन अंचला अधिकारी की मनमानी के चलते आज तक यहां के बाढ़ पीड़ितों को राशि नहीं मिल पाई है। जिससे यहां के लोगों में काफी नाराजगी है। लगभग डेढ़ हजार परिवार में अधिकांश परिवार गौतम बुध मुख्य मार्ग पर शरण लिए हुए थे। इनके बच्चे कई दिनों तक भूखे भी रहे । लेकिन इन्हें देखने वाला यहां कोई नहीं पहुंचा । लगभग एक सप्ताह तक बाढ़ का पानी इनके घरों में रहा। लेकिन प्रशासन द्वारा यह कहा जाता रहा कि मधुबनी प्रखंड के किसी भी पंचायत में बाढ़ नहीं आई है। जनप्रतिनिधियों ने कहा बार-बार कहने के बावजूद भी नहीं सुनते सीओ चिउरही एवं सिसई पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने बताया कि दोनों पंचायतों में बाढ़ पूरी तरह से कहर मचाया हुआ था। यहां पर लगभग डेढ़ हजार परिवार बाढ़ से पीड़ित थे । सैकड़ों एकड़ भूमि में लगी फसल भी बर्बाद हो गई। लेकिन इन परिवारों को देखने वाला अब तक कोई नहीं है। कहा कि अंचलाधिकारी मधुबनी के द्वारा इसकी जांच भी कराई गई। इसके बावजूद भी जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुन रहे हैं वे बाढ़ पीड़ितों को नजरअंदाज कर रहे हैं। सीओ ने कहा मधुबनी के किसी पंचायत में नहीं आई थी बाढ़ जनप्रतिनिधियों एवं बाढ़ पीड़ितों के द्वारा बाढ़ राहत सामग्री एवं सहायता मांगने पर अंचलाधिकारी मधुबनी रंजीत कुमार ने कहा कि मधुबनी प्रखंड के किसी भी पंचायत में बाढ़ नहीं आई थी । उन्होंने बताया कि जब तक कहीं भी साढे चार लाख क्यूसेक से ज्यादा साढे पांच लाख क्यूसेक तक पानी गांव में नहीं आता है । तब तक उस क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र नहीं माना जा सकता है । अंचलाधिकारी ने कहा कि इसकी रिपोर्ट वरीय पदाधिकारियों को कर दी गई है।