राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक झाड़ू लगाकर देते स्वच्छता का संदेश
उन्होंने एक घंटे पहले विद्यालय आकर परिसर की सफाई की शुरुआत की। अन्य शिक्षक भी प्रभावित होकर इस अभियान में जुट गए। (तस्वीर प्रतीकात्मक)
बेतिया [सुनील आनंद]। पुरस्कार यूं ही नहीं मिलते। उसके लिए कार्यशैली व जीवनशैली में बदलाव की दरकार होती है। इसकी मिसाल-राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार प्राप्त शिक्षक मुहम्मद ओबैदुर रहमान हैं। पिछले 24 वर्ष से नियमित रूप से अपने स्कूल में खुद झाड़ू लगाकर स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं। समय से पहले स्कूल पहुंच स्वयं परिसर की सफाई में जुट जाते हैं। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति व जुनून से न केवल बच्चों का भविष्य संवर रहा है, बल्कि उनका विद्यालय इलाके के कॉन्वेंट स्कूलों को चुनौती भी दे रहा है।
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के रामनगर प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय सोनखर के प्रधानाध्यापक मुहम्मद ओबैदुर रहमान समय पालन व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से अलग छाप छोड़ रहे हैं। जुलाई, 2017 में इनकी तैनाती इस विद्यालय में हुई। तब सफाई के साथ पढ़ाई की स्थिति बहुत खराब थी।
उन्होंने एक घंटे पहले विद्यालय आकर परिसर की सफाई की शुरुआत की। अन्य शिक्षक भी प्रभावित होकर इस अभियान में जुट गए। फिर स्कूल परिसर में कई तरह के पौधे लगाए। कुछ ही दिनों में इसकी तस्वीर बदल गई। अब गुलाब व हरे-भरे पौधे दिखने लगे हैं। इस स्कूल में 400 से अधिक बच्चों का नामांकन था, लेकिन उपस्थिति महज 200 रहती थी। उन्होंने अभिभावकों से संपर्क कर बेहतर पढ़ाई का भरोसा दिलाया।
बच्चों के नियमित और समय पर ड्रेस में स्कूल आने की व्यवस्था कराई। बच्चों की पढ़ाई के बारे में अभिभावकों से साप्ताहिक संपर्क करने लगे। कमजोर बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की व्यवस्था की। विद्यालय में सुबह करीब एक घंटे की प्रार्थना सभा में वे बच्चों को योग एवं व्यायाम भी कराते हैं। स्वच्छता का महत्व बताते हैं। सिकटा, बेतिया, लौरिया और बगहा दो प्रखंड के विभिन्न सरकारी स्कूलों में बतौर सहायक शिक्षक कार्य करने के बाद ओबैदुर पिछले साल प्रधानाध्यापक बने। बच्चों को स्कूल से जोड़कर बेहतर शिक्षा देने पर इन्हें 2011 में राज्य स्तरीय अध्यापक का पुरस्कार मिला। 2012 में राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार मिला।