बच्चों को पढ़ाते मिले बाल संसद के सदस्य
बगहा। सरकार भले ही बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात कहे पर जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है।
बगहा। सरकार भले ही बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात कहे पर जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है। संसाधनों की कमी से जूझते विद्यालय, विभिन्न तरह के गैर शिक्षण कार्य से जुड़े शिक्षक एवं बिना शिक्षकों के हो रही पढ़ाई इसका उदाहरण है। गुरुवार सुबह के 10:30 बजे रामनगर के राजकीय कृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिगरी मुड़िला। यहां वर्ग तीन में बाल संसद की सदस्य एवं आठवीं वर्ग की छात्रा अंजली कुमारी एवं केमी कुमारी वर्ग तीन के बच्चों को गणित की शिक्षा दे रही थी। छात्र भी अनुशासित ढंग से पढ़ाई में जुटे हैं। इसके अलावा वर्ग दो एवं वर्ग एक में भी बाल संसद के सदस्यों के द्वारा ही बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इसका कारण यह है कि इस विद्यालय के तीन शिक्षक हाल में ही संपन्न हुए अर्द्धवार्षिक परीक्षा के कॉपियों के मूल्यांकन के कार्य से सीआरसी गए हुए हैं। हालांकि, प्रधानाध्यापक दुर्योधन पड़ित मौजूद मिले। जो खुद आठवीं वर्ग में बच्चों को पढ़ा रहे थे।
विज्ञान एवं गणित के नहीं हैं शिक्षक
छात्रा कुमारी अंशु का कहना है कि विद्यालय में गणित एवं विज्ञान विषय के लिए कोई शिक्षक नहीं है। इस विषय को अन्य विषय के अध्यापक हीं पढ़ाते हैं। चुमन कुमार साह, अंकिता कुमारी, संजय कुमार यादव आदि छात्र एवं छात्राओं का कहना है कि हम सभी आठवीं वर्ग में पढ़ते हैं। पर विषयवार शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति नहीं होने से परेशानी होती है। अन्य विषयों के अध्यापक ही गणित एवं विज्ञान पढ़ाते हैं। बता दें कि इस विद्यालय में कुल शिक्षकों की संख्या नौ है। जिसमें से एक अवकाश पर मिलें। जबकि तीन शिक्षक सीआरसी में मूल्यांकन कार्य से बाहर हैं। हालांकि उपस्थित पांच शिक्षक अपने अपने वर्ग में अध्यापन कार्य में जुटे मिलें।
बयान
विषयवार शिक्षकों की कमी है। वैसे एक समस्या यह भी है कि शिक्षकों को गैर शिक्षण कार्य में शामिल किया जाता है। विद्यालय के एक शिक्षक को सर्वे कार्य से जोड़ा गया है। जिससे अध्ययन का कार्य प्रभावित होता है। वैसे जो भी संसाधन है। उसमें बच्चों को संपूर्ण विषयों की शिक्षा देने की पूरी कोशिश की जाती है।
- दुर्योधन पड़ित, प्रधानाध्यापक