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लैब में नहीं किया प्रयोग, बच्चे कैसे देंगे मैट्रिक की परीक्षा

बगहा। हरनाटांड़, सरकारी स्तर पर कदाचार मुक्त परीक्षा की तैयारी चल रही है। इसकी तैयारी जिला और स्कूल स्तर पर भी हो रही है, लेकिन अधिकारी यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि बिना पढ़े और बिना प्रैक्टिकल किए हुए छात्र कैसे पास करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 09:41 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 09:41 PM (IST)
लैब में नहीं किया प्रयोग, बच्चे कैसे देंगे मैट्रिक की परीक्षा
लैब में नहीं किया प्रयोग, बच्चे कैसे देंगे मैट्रिक की परीक्षा

बगहा। हरनाटांड़, सरकारी स्तर पर कदाचार मुक्त परीक्षा की तैयारी चल रही है। इसकी तैयारी जिला और स्कूल स्तर पर भी हो रही है, लेकिन अधिकारी यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि बिना पढ़े और बिना प्रैक्टिकल किए हुए छात्र कैसे पास करेंगे। हर साल की तरह थ्यूरी के अलावे 20 अंकों की प्रायोगिक परीक्षा भी स्कूलों में ली जा रही है। केवल बगहा दो प्रखंड में उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय मिश्रौली, नौतनवा, सिधांव, बलुआ, नौरंगिया व रामपुर आदि के विद्यालयों में हजारों छात्र-छात्राओं ने दसवीं में परीक्षा देने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरा है। इन विद्यालयों को विगत पांच वर्ष के अंदर उत्क्रमित कर माध्यमिक उच्च विद्यालय का दर्जा मिला है। कभी नक्सल प्रभावित माने जाने वाले थरुहट का यह क्षेत्र आज शिक्षा के ²ष्टिकोण से काफी अग्रसर माना जाता है। यहां के अभिभावक भी अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर अफसर बनाने की उम्मीद संजोए हुए हैं। लेकिन उनके उम्मीदों पर पानी फेर कर यहां के छात्रों के जीवन से शिक्षा विभाग खुला मजाक कर रही है। प्रखंड के अधिकतर उत्क्रमित माध्यमिक स्कूलों में जब लैब ही नहीं है तो उपकरण या केमिकल की बात ही बेमानी है। यह छात्र लैब का चौखट लांघे बिना ही प्रायोगिक परीक्षा में नब्बे प्रतिशत अंकों से पास कर जाते हैं। अपग्रेड स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। ऐसी हालत में छात्र बिना पढ़ाई और लैब के ही परीक्षा देंगे और पास करेंगे। यह हाल केवल एक दो स्कूल का नहीं बल्कि सभी उच्च विद्यालयों का है। इस कड़ी में हरनाटांड़ स्थित राजकीय युगल साह जनजाति बालिका उच्च प्लस टू विद्यालय है। जहां संसाधनों व पर्याप्त शिक्षकों के अभाव में बच्चियों के कोर्स तक पूरे नहीं हो पाते हैं। यहां लैब तो दूर बच्चों को किताबी का कोर्स भी मिलाजुला कर ही मिलता है। तो दूसरी ओर उच्च विद्यालय हरनाटांड़ जहां पर्याप्त सुविधाओं के बावजूद बच्चों के कोर्स अधूरे रह जाते हैं। यहां लैब की सुविधा तो है लेकिन उस लैब का पूरा पूरा लाभ बच्चों को नहीं मिल पाता है। कारण कि शिक्षकों की कमी और नियमित न होना। छात्र - छात्राओं का भविष्य को¨चग पर निर्भर : प्रखंड के सभी स्कूल में केवल हाजिरी बनाने का काम होता है। अधिकतर स्कूलों में शिक्षकों व सुविधाओं का अभाव है। जिसकी वजह से उच्च विद्यालय के बच्चों को ट्यूशन और को¨चग का सहारा लेना पड़ता है। थरुहट क्षेत्र के बच्चों के लिए को¨चग संस्थान किसी वरदान से कम नहीं है। सरकार व शिक्षा विभाग की उदासीनता व लापरवाही की वजह से आज यहां के बच्चे स्कूल के सहारे न रहकर को¨चग पर आश्रित हैं और उसी की देन है कि प्रत्येक वर्ष क्षेत्र के बच्चे प्रखंड तक ही नहीं बल्कि पूरे अनुमंडल में टॉप करते हैं। उल्लेखनीय है कि आगामी 21 फरवरी से मैट्रिक की परीक्षा भी शुरू होने वाली है जबकि 20 जनवरी से इसकी प्रैक्टिकल भी है। लेकिन जब बच्चों ने लैब का ही मुंह नहीं देखा तो फिर परीक्षा में पास कैसे होंगे। यह भी अपने आप में एक सवाल है।

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प्रैक्टिकल के नाम से लगता डर विद्यालय में शिक्षक व सुविधाओं के बावजूद कई विषयों के कोर्स अधूरे रह गए हैं। शिक्षकों द्वारा नौवीं कक्षा में तो लैब भी कराया जाता था लेकिन दसवीं में वह भी नहीं हो पाया। ऐसे में भला स्कूल के भरोसे पढ़ाई कैसे संभव है। यहां लैब तो तो छोड़िए कोर्स भी पूरे नहीं हो पाते हैं।

-- ममता कुमारी, छात्रा छात्राओं की शिक्षा कागजों पर ही सीमित है। सरकार द्वारा गांव गांव में स्कूल तो खोल दिए गए और कई मध्य विद्यालय को प्रोन्नत कर उच्च विद्यालय में तब्दील भी कर दिया गया। लेकिन उच्च विद्यालयों में आज तक शिक्षकों की बहाली नहीं की गई।

-- अंजली कुमारी, छात्रा हमारे स्कूल में शिक्षकों की कमी की वजह से कोर्स पूरा नहीं हो पाया। लैब की भी सुविधा नहीं है। ऐसे में हम लोगों के लिए को¨चग ही एक मात्र सहारा है। को¨चग संस्थान वरदान हैं। को¨चग में लैब की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में प्रायोगिक परीक्षा की ¨चता सता रही है।

-- मनीषा कुमारी , छात्रा मेरे विद्यालय में शिक्षक तो पर्याप्त है ही नहीं । फिर भला लैब की क्या कहें। हमलोग लैब के बारे में केवल सुनते हैं लेकिन आज तक इसका लाभ नहीं मिला है। यहां तो कोर्स पूरा करने में परेशानी होती है। जिसकी वजह से को¨चग का सहारा लेना पड़ता है। प्रायोगिक परीक्षा की ¨चता है।

-- सोनिया कुमारी, छात्र मध्य विद्यालय को प्रोन्नत कर उच्च में तब्दील कर दिया गया लेकिन आज तक यहां शिक्षकों की बहाली नहीं कि गई है। जिसकी वजह से मध्य विद्यालय के शिक्षक ही उच्च विद्यालय के छात्रों को पढ़ाते हैं। ऐसे में भला गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करनी बिल्कुल बेमानी है।

-- उदय कुमार, छात्र विद्यालय में शिक्षक के रहते हुए भी विज्ञान और गणित के साथ अंग्रेजी तक के कोर्स अभी तक अधूरे हैं। ऐसे में हम सभी विद्यार्थियों को को¨चग पर ही निर्भर रहना पड़ता है। लैब तो है लेकिन उस लैब का पूरा लाभ हम लोगों को नहीं मिल पाता है। क्योंकि शिक्षक हमेशा मौजूद नहीं रहते ।

-- आकाश कुमार, छात्र


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