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खसरा रुबेला जानलेवा बीमारी, बच्चों का टीकाकरण जरूरी

बेतिया । खसरा रुबेला एक जानलेवा बीमारी है। यह वायरस खसरा रुबेला एक जानलेवा बीमारी है। यह वायरस से फैलता है। इसकी रोकथाम के लिए नौ माह से 15 वर्ष के सभी बच्चों को टीका लिया जाना जरूरी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 12:00 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 12:00 AM (IST)
खसरा रुबेला जानलेवा बीमारी, बच्चों का टीकाकरण  जरूरी
खसरा रुबेला जानलेवा बीमारी, बच्चों का टीकाकरण जरूरी

बेतिया । खसरा रुबेला एक जानलेवा बीमारी है। यह वायरस से फैलता है। इसकी रोकथाम के लिए नौ माह से 15 वर्ष के सभी बच्चों को टीका लिया जाना जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इसकी सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। उक्त बातें अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अर¨वद नारायण ¨सह ने कही। वे शनिवार को कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिले में 1506903 बच्चों को खसरा रुबेला का टीका देने का लक्ष्य निर्धारित है। इसकी शुरुआत 15 जनवरी से की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी, गैर सरकारी, निजी विद्यालय, मदरसा के साथ साथ सभी आंगनबाड़ी केंद्रों और छूटे हुए क्षेत्रों में 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चे बच्चियों को टीका लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए 680 एएनएम सहित आशा एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं को लगाया गया है। स्कूलों में इसके लिए नोडल शिक्षक को बनाया गया है जो बच्चों को टीका के लिए जागरूक करेंगे। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. किरण शंकर झा ने कहा कि खसरा रुबेला एक जानलेवा बीमारी है। खसरा रोग के कारण बच्चों में विकलांगता या उनकी असमय मृत्यु हो जाती है। इसका सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है। गर्भ में पल रहे बच्चों में जन्मजात रूबैल्ला ¨सड्रोम विकसित हो जाता है। जिसके कारण बच्चे जन्मजात विकलांग हो जाते हैं। खसरा रूबेला बीमारी आंख, कान, मस्तिष्क तथा हृदय को प्रभावित कर सकता है।उन्होंने कहा कि इस रोग से बचाव के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। एम आर टीका एक बहुत सुरक्षित टीका है।जिसका प्रयोग पिछले 40 वर्षों से भारत के अलावा कई देशों में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अन्य टीको की तरह बच्चों में ¨चता एवं घबराहट हो सकती है। लेकिन इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए विभाग पूरी तैयारी में है। उन्होंने बताया कि स्कूल में दिए जाने वाले बच्चों की संख्या 88665 3 तथा आंगनबाड़ी केंद्र एवं छूटे हुए क्षेत्रों में टिका दिए जाने वाले बच्चों की संख्या 6 20 250 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मौके पर डॉ. अंकुर रेजी, एडमिन जितेश चंद्र, रोशन श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

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