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एक सौ वर्ष पहले यहां आए थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

गुलामी के दौर में देश को आजाद कराने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चंपारण का दौरा किया था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Jan 2018 12:55 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jan 2018 02:18 AM (IST)
एक सौ वर्ष पहले यहां आए थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
एक सौ वर्ष पहले यहां आए थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

बगहा। गुलामी के दौर में देश को आजाद कराने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चंपारण का दौरा किया था। वर्ष 1917 में राष्ट्रपिता नगर के देवी मंगल ¨सह उच्च विद्यालय में आए थे। जिस भवन में उन्होंने रात गुजारी थी। वह भवन फिलवक्त पूरी तरह से जर्जर हो गया है। उसे स्कूल प्रबंधन की ओर से परित्यक्त घोषित कर दिया गया है। विडंबना है कि आज यह विद्यालय बापू के कारण ही ऐतिहासिक स्थल कहलाता है और जिस इतिहास को लेकर डीएम एकेडमी स्कूल की चर्चा होती है। उसी इतिहास को संजो कर रखने के बजाय विद्यालय प्रबंधन समिति ने परित्यक्त घोषित कर दिया। जबकि इसे जीवंत रखने के लिए पुरातत्व विभाग सहित सरकार के अन्य विभागों को पहल करने की आवश्यकता था। ताकि इस धरोहर को संभाल कर रखा जा सके और आने वाली नश्लें इसे याद रखें।

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विद्यालय का अपना इतिहास

बताते है कि नगर के इस विद्यालय के लिये देवी मंगल ¨सह के अगुवाई में कई लोगों ने भूमि दान करते हुए विद्यालय भवन का निर्माण कराया था। 1917 अप्रैल में चंपारण प्रवास के दौरान इसी मध्य विद्यालय के भवन में महात्मा गांधी ने रात गुजारा था। उस समय प्रधानाध्यापक के पद पर गोपीनाथ तिवारी कार्यरत है। उस समय के आदेश पाल जिउत राउत ने बापू को परिसर के कुएं से पानी निकाल कर स्नान भी कराया था। कुआं को तो संरक्षित है। उसे आज भी संजो कर रखा गया है। लेकिन जिसमें घर में बापू ने अपने जीवन की एक रात गुजारी और यहां के लोगों को अपने सत्याग्रह आंदोलन से जोड़ने का काम किया। आज यह भवन पूरी तरह से जर्जर हो कर परित्यक्त हो गया है। अगर विद्यालय प्रबंधन ने इसे संजोया रहता तो यह बगहा के लिये ही नहीं पूरे देश के लिये ऐतिहासिक होता। ऐसे आजादी से जुड़े ऐतिहासिक भवन को नहीं संजाने से लोग आहत है।

सत्याग्रह के दिनों की बात

नगर के रामधाम मंदिर निवासी दिनेश्वर प्रसाद व 80 वर्षीय जय किशुन प्रसाद अहिरवलिया निवासी बताते है हम लोग उस समय बहुत छोटे थे। आजादी के लिये लोग अपनी जान की परवाह नही करते हुए तिरंगा लेकर अंग्रेजों से लोहा लिया करते थे। उस समय बस सभी लोग जात पात भूल कर देश को आजाद कराने के लिये अपना जीवन देश पर कुर्बान करने में लगे हुए थे। आजादी मिलने पर हम लोग अपने नन्हें हाथों में तिरंगा लेकर ¨हदुस्तान ¨जदाबाद के नारे लगाये थे। कितने लोग देश को आजाद कराने वाले हंसते हुए अपने गले में फांसी का फंदा देश को आजाद कराने के लिये लगा लिये थे। उनकी सोच थी कि हम रहें ना रहें हमारा देश आजाद होगा। देश के लोग गुलामी से मुक्त होंगे। आज के दौर में सभी पार्टी केवल वोट के लिये जात पात अगड़ा पिछड़ा का नारा लगा कर देश के लोगों के बीच नफरत फैलाने का काम कर रही है। देश के लिये राष्ट्रभक्ति अब पहले जैसे नही रह गई है। यह आने वाली पीढ़ी के लिये घातक सिद्ध होगा। हम पहले ¨हदुस्तानी बने फिर जाति धर्म मजहब को माने।

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इनसेट बयान

मुझे योगदान करने के बाद पता चला कि इस विद्यालय के भवन में राष्ट्रपिता ने प्रवास किया था। इसके बाद विभाग को भवन निर्माण के लिये मैंने प्रस्ताव भेजा है। इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण हो इसके लिये मैं लगातार प्रयास कर रहा हूं।

सुभाष प्रसाद, प्रधानाध्यापक, डीएम एकेडमी स्कूल बगहा एक


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