मानवता हुई शर्मसार, बेटी के पैदा होते ही फेंका
जस धरती पर परित्यक्ता मां सीता को शरण मिली आज वह धरती एक बार फिर कलंकित हो गई।
बेतिया। जिस धरती पर परित्यक्ता मां सीता को शरण मिली आज वह धरती एक बार फिर कलंकित हो गई। फिर एक कलयुगी मां ने अपने कलेजे के टुकड़े को मौत की आगोश में सिर्फ इसलिए फेंक दिया कि वह बेटी थी। स्थानीय बड़ा रमना मैदान में खुले आसमान के नीचे फेंकी गई इस बच्ची को स्थानीय लोगों की पहल के बाद भी बचाया नहीं जा सका। यह सुखद संयोग रहा कि कुत्ते या अन्य जानवर उसे नोंच खाते कि इससे पहले जगजीवन नगर के कुछ लोग वहां फरिस्ता बनकर आ पहुंचे और उसे अस्पताल में भर्ती कराया। लोगों की पहल पर मासूम को अस्पताल के सीक न्यू बॉर्न केयर यूनिट में भर्ती किया। कई घंटे खुले आसमान में रहने के कारण बच्ची की तबीयत काफी खराब थी। नतीजतन, स्वयं सीक न्यू बॉर्न केयर यूनिट के चिकित्सक व नर्स पल पल की स्थिति पर नजर बनाए हुए थे। हर स्तर पर मासूम का ख्याल रखा जा रहा था, लेकिन करीब 12 घंटे संघर्ष के बाद मासूम मौत से हार गई। करीब ढाई बजे इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। विभागाध्यक्ष जेपी नारायण ने बताया कि उक्त मासूम को बचाने के हर कोशिश की गई, लेकिन उपरवाले के सामने एक नहीं चली। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जन्म के तुरंत बाद उसे फेंक दिया गया हैं। फेंकने के बाद काफी देर तक वह खुले आसमान के नीचे रही हैं। बारिश का पानी और जमीन पर पड़े रहने के कारण उसे काफी ठंडा भी लगा हुआ था। उन्होने बताया कि इसकी सूचना पुलिस को दे दी गई हैं। इनसेट
थम नहीं रही शहर में नवजात को फेंकने की घटना बेतिया : बेटी पैदा होने पर मासूम को फेंकने की घटना यह पहली नहीं हैं। बल्कि ऐसी कई घटनाएं पहले भी घट चुकी हैं। हाल ही में शहर के मित्रा चौक और उतरवारी पोखरा के समीप मासूम को कुत्तों द्वारा नोंच खाने की खबर आई थी। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की ओर से कार्रवाई करने की बात कही गई थी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अवैध नर्सिंग होम पर कार्रवाई करने की बात भी गई गई थी। जांच के लिए टीम का गठन किया गया था। लेकिन यह सबकुछ शायद कागज तक ही रह गया। नतीजतन ऐसी घटनाएं हर दिन घट रही हैं। चर्चा में तब आता हैं जब इस पर किसी की नजर पड़ जाए अन्यथा सबकुछ सही हैं। इनसेट जन्म लेते बेटियों की हत्या ने लगाया बेटी बचाओ अभियान पर सवाल
बेतिया : आये दिन शहर में फेंके जा रहे नवजात भ्रूण और मासूम सरकार के बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ अभियान पर सवालिया निशान लगा रहा है। ऐसा नहीं कि इसके लिए कोई खास व्यक्ति जिम्मेवार हैं बल्कि पूरी सिस्टम कटघरे में हैं। आखिर कैसे जन्म के पहले बेटी पैदा होने की जानकारी लोगों को हो जा रही हैं? आयेदिन सड़क पर भ्रूण फेंकने की घटना कैसे घट रही हैं? किन नर्सिंग होम और अस्पतालों में इस तरह के कार्य किए जा रहे हैं? चंद रुपये के लालच में कौन सा चिकित्सक व स्टाफ इसको अंजाम दे रहा हैं? क्यों एक मां नो माह अपने कोख में पालने के बाद जमीन पर पैर रखने के पहले ही मासूम को खुले में फेंक अपनी मुंह मोड़ लेती हैं? तमाम सवाल को लेकर सरकार का अभियान व सिस्टम कटघरे में हैं।
इनसेट बयान
पिछले मामलों को लेकर भी जांच के आदेश दिए गए थे। जांच चल रही है। इस मामले की भी जांच कराई जाएगी। इस प्रकार की घटनाएं सभ्य समाज के माथे पर कलंक है। इसके लिए समाज को भी जागरुक होना पड़ेगा।
डा. कृष्ण कुमार राय
सिविल सर्जन
पश्चिम चम्पारण