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यहां सख्ती पर भी राशन के वजन में कर ली जाती कटौतीं

इसे सिस्टम की मनमानी नहीं तो और क्या कहें। खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए खाद्यान्न उपभोक्ताओं को निर्धारित मात्रा में नहीं मिलते हैं। आखिर मिले तो कैसे मिले पीडीएस दुकानदारों को जो देने पड़ते हैं। यह कहना है कि पीडीएस दुकानदारों का। नाम नहीं छापने के शर्त पर पीडीएस दुकानदारों ने बताया कि उन्हें प्रति बोरी 40 से 50 रुपये के हिसाब से विभागीय अधिकारी को दे देने पड़ते हैं। अगर यह राशि नहीं दी गई है

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 12:16 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 06:55 AM (IST)
यहां सख्ती पर भी राशन के वजन में कर ली जाती कटौतीं
यहां सख्ती पर भी राशन के वजन में कर ली जाती कटौतीं

बेतिया। इसे सिस्टम की मनमानी नहीं, तो और क्या कहें। खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए खाद्यान्न उपभोक्ताओं को निर्धारित मात्रा में नहीं मिलते हैं। आखिर मिले, तो कैसे जब पीडीएस दुकानदारों को भी देने पड़ते हैं। यह कहना है पीडीएस दुकानदारों का। नाम नहीं छापने की शर्त पर पीडीएस दुकानदारों ने बताया कि उन्हें प्रति बोरी 40 से 50 रुपये के हिसाब से विभागीय अधिकारी को दे देने पड़ते हैं। अगर यह राशि नहीं दी गई है तो उनकी ओर से जांच के नाम पर फंसाने की धमकी दी जाती है। ऐसे में उपभोक्ता ही शिकार होते हैं। खाद्यान्न के वितरण में कट करना उनकी मजबूरी बन जाती है। यह बात सिर्फ खाद्यान्न में ही नहीं केरासिन में भी दुकानदारों को प्रति ड्राम 70 रुपये के हिसाब से रिश्वत के रूप में देने पड़ते हैं। ऐसे में केरोसिन के वितरण में भी अनियमितता बरती जाती है। इतना ही नहीं पीडीएस दुकानदारों को खाद्यान्न एवं केरासिन के उठाव के लिए एक माह पूर्व में ही एसआइओ के लिए ड्राफ्ट बिहार राज्य खाद्य निगम को जमा करना पड़ता है। फिर उनके लिए एसआइओ निर्गत किया जाता है। सूत्रों की माने, तो एक माह पूर्व उनके द्वारा एसएफसी को ड्राफ्ट दे दिया गया है, लेकिन अब तक सितम्बर माह के खाद्यान्न एवं केरोसिन उठाव के लिए एसआइओ निर्गत नहीं किया गया है। खाद्यान्न का वितरण प्रतिमाह 21 तारीख के बाद शुरू कर दिया जाता है, जिसे संबंधित माह के अंत तक वितरण करना है, लेकिन कई जगह ऐसा नहीं होता है। ग्रामीण इलाके में अधिकांश जगहों पर उपभोक्ता यदि 25 तारीख तक खाद्यान्न नहीं लेते हैं, तो उन्हें खाद्यान्न से संतोष करना पड़ता है। जबकि विभागीय स्तर से निर्धारित मात्रा में वितरण किया जाय, इसके लिए नियमित रूप से जांच की व्यवस्था की गई है, लेकिन इसका असर नहीं पड़ रहा है। अंत्योदय कार्डधारियों को प्रति माह 21 किलोग्राम चावल एवं 14 किलोग्राम गेहूं देने का प्रावधान है, लेकिन वितरण में ऐसा होता नहीं है। उन्हें वेट कट कर खाद्यान्न दिया जाता है। इसी तरह पीएचएच के लिए प्रति यूनिट 2 किलोग्राम गेहूं एवं 3 किलोग्राम चावल देने की व्यवस्था की

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गई है।

इनसेट

डोर स्टेप से डिलेवरी पर होता है वेट कट

विभाग ने जन वितरण दुकानदारों तक खाद्यान्न पहुंचाने के लिए डोर स्टेप डिलेवरी सिस्टम लागू की है। इसके अनुसार एसएफसी गोदाम खाद्यान्न का उठाव कर इसे डीलर प्वाइंट तक पहुंचाना है। इसमें प्रयुक्त होने वाले वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगी होती है। इसका मतलब यह यह है कि उठाव प्वाइंट से डीलर प्वाइंट तक वाहन सीधे चला जाय। इसकी मॉनीटरिग राज्य मुख्यालय से की जाती है, लेकिन इसमे खाद्यान्न का कट कर लिया जाता है।

बयान

उपभोक्ताओं को हर हाल में निर्धारित मात्रा में खाद्यान्न मिले, इसके लिए विभाग कटिबद्ध है। गड़बड़ी के बिंदु पर यदि कहीं से शिकायत मिलती है, तो इसकी जांच की जाएगी। जांच में दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अनिल राय

जिला आपूर्ति पदाधिकारी

पश्चिम चंपारण


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