संवेदक का चाचा बन कर ईओ से मिला था निगरानी का जवान
बेतिया। एक शिक्षक से अधिकारी बने नगर कार्यपालक पदाधिकारी सुधीर कुमार को रिश्वत की भूख तब से और बढ़ गई जब किसी मामले में उन्हें करीब एक लाख रुपये रिश्वत दी गई।
बेतिया। एक शिक्षक से अधिकारी बने नगर कार्यपालक पदाधिकारी सुधीर कुमार को रिश्वत की भूख तब से और बढ़ गई जब किसी मामले में उन्हें करीब एक लाख रुपये रिश्वत दी गई। जानकारों की मानें तो भ्रष्ट अधिकारी ने प्रधानमंत्री आवास योजना में किसी वार्ड पार्षद से वह रिश्वत ली थी। तब से उनकी भूख इतनी बढ़ गई कि निगरानी के हत्थे चढ़ गए। कार्यपालक पदाधिकारी को तनिक भी भनक नहीं हुई कि टीम का एक सदस्य संवेदक का चाचा बनकर पहुंचा था। गिरफ्तारी के दिन बातचीत के बाद रुपये लेकर जैसे ही आलमीरा में रखा, निगरानी की टीम में धर दबोचा। इस घटना के बाद निगरानी की आधी टीम कार्यपालक को लेकर रवाना हो गई। वहीं आधी टीम ने ईओ के दफ्तर में करीब चार घंटे तक फाइलों को खंगाला। टीम वहां से पांच सौ पन्ने की एक रिपोर्ट भी लेकर गई। ईओ के पकड़े जाने के बाद शहर में जो चर्चा शुरू हुई, उसका सिलसिला दूसरे दिन भी जारी रहा। शहर के लोगों में इस बात की खासा चर्चा है कि भ्रष्ट ईओ के साथ समान विचारधारा वाले ऐसे ही अधिकारियों की चौकड़ी उनके किराये के मकान में लगती थी। इतना ही नहीं ईओ के धर पकड़ के बाद नगर परिषद के बाबूओं की बेचैनी भी इस कदर बढ़ गई कि कहीं निगरानी यहां न आ धमके। इस बात को लेकर एक लिपिक वहां से ईओ का दफ्तर बंदकर फरार हो गया। इसके बाद निगरानी की टीम ने उन्हें ढूंढ़कर कार्यालय बुलाया। वहां फिर डोर टू डोर कचरा की फाइल की मांग की और लिपिक से छह जगहों पर हस्ताक्षर कराया। जब हस्ताक्षर की बात आई तो लिपिक का चेहरा लाल पीला पड़ने लगा। लोगों में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि अब नगर परिषद के कर्मी और अधिकारी छुट्टी लेकर कुछ दिनों तक आराम करने की सोंच रहे हैं।