सड़कों के निर्माण में गोलमाल, जांच पर उठ रहे सवाल
रामनगर नगर पंचायत के सभी 23 वार्डो की सड़कें पक्की हो चुकी हैं।
बगहा। रामनगर नगर पंचायत के सभी 23 वार्डो की सड़कें पक्की हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत गांवों की सड़कें भी पक्की हो रही हैं। सड़कों के निर्माण पर करोड़ों खर्च के बाद भी लोगों को आवागमन में परेशानी झेलनी पड़ रही। कारण साफ है। सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा जाता। इस कारण बनने के साथ अधिकांश सड़कें टूटने लगती हैं। लोग इसे नियति समझते हैं। इसलिए चुप हैं। संवेदक आते हैं, काम कराते हैं और चलते बनते हैं। सड़क कुछ महीनों बाद फिर से बदहाल हो जाती। फिर नई योजना के तहत पक्कीकरण का काम स्वीकृत होता है तथा पुरानी सड़क पर दोबारा सड़क बन जाती है। बीते कुछ वर्षो से यहीं स्थिति चली आ रही है। नगर पंचायत बोर्ड की बैठक में हर बार सड़कों की बदहाली का मुद्दा उठता है। लेकिन जन प्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक अपनी जेब भरने में लगे हैं।
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मुख्यमंत्री नाली गली के साथ ही पंचम वित्त योजना मद से होता है खर्च करोड़ों खर्च के बाद भी सड़कें बदहाल :-
मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत अबतक प्रखंड में करीब एक करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। साथ ही पंचम वित्त आयोग योजना मद से भी सड़कों के निर्माण पर लाखों रुपये का खर्च हुआ है। पर, इतना सबकुछ होने के बाद भी सड़कों की दशा में सुधार नहीं दिख रहा है। सोचने वाली बात यह है कि सरकार के तरफ से इसके रखरखाव की जिम्मेदारी भी पांच सालों के लिए निर्माण करने वाली कंपनी को देने का प्रावधान है। पर अधिकांश सड़कें एक या दो सालों में ही टूटने लगती हैं। इसे देखने वाला कोई नहीं। बनने के साथ ही टूट गईं ये सड़कें :- नगर पंचायत क्षेत्र में बनी सड़कों का हश्र कहानी बयां करता है। गुणवता के अभाव में अभी बीते अगस्त माह में वार्ड 05 में करीब 20 फीट से उपर नवनिर्मित नाले की दीवार गिर गई। जिसे बाद में दुरूस्त किया गया। इसके अलावा नगर निधि से वार्ड 23 में बने दो सड़कों को आज अता पता नहीं है। जबकि इसे बने हुए ज्यादा समय नहीं हुए। इसमें से एक सड़क तो बनने के साथ ही उखड़ गई। जिसे आनन फानन में ठीक कराया गया। इसके अलावा करीब एक साल पहले थाना रोड का पक्कीकरण हुआ, लेकिन यह सड़क भी बदहाल हो चुकी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर पंचायत के तरफ से कराए जाने वाले किसी भी कार्य स्थल पर अभियंता दिखाई ही नहीं देते हैं। सुनने में यह भी आता है कि जेब गरम करने के चक्कर में सड़क के उपर ही अगले सत्र में फिर से सड़क बना दी जाती है। ग्रामीण सड़कों का भी हाल बेहाल :- ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों का भी यही हाल है। चाहे रामनगर से बेलौरा का मुख्य सड़क जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनी है। या फिर मुख्य मंत्री ग्रामीण संपर्क योजना के तहत सबुनी से भावल जाने वाली सड़क के निर्माण का मामला हो। इस सड़क को बने अभी दो से तीन साल ही हुए हैं। पर, सड़क गड्ढों से पट गई है। उल्लेखनीय है कि इस सड़क की गुणवत्ता को लेकर प्रखंड जदयू के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रेम ¨सह ने बीते साल 2017 में मुख्यमंत्री को जांच के लिए ज्ञापन दिया था। जिसपर जांच टीम भी गठित हुई। 20 दिनों में रिपोर्ट आने की बात कही गई थी। आजतक कुछ पता नहीं चला। बयान :
कार्य में गुणवत्ता का ख्याल रखा जाता है। इसके लिए नगर पंचायत के कनीय अभियंताओं को हिदायत दी गई है। सभी को अपने स्थल पर रहना है। सड़क के उपर सड़क के निर्माण की बात गलत है।
मीरा कुमारी, ईओ बयान :-
सभी वार्डों में समान रूप से कार्य का आवंटन होता है। पुराने सड़कों के मरम्मत के साथ नई सड़कों के निर्माण का कार्य भी चल रहा है। गुणवत्ता पूर्ण कार्य करने के लिए सभी संवेदकों को हिदायत दी गई है।
सावित्री देवी, मुख्य पार्षद