आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों के साथ पढ़ती मिलीं बकरियां
बेतिया। महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बाल विकास परियोजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन होता है। केंद्रों में छह साल तक आयु वर्ग के बच्चों के साथ गर्भवती व प्रसव के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधित आवश्यकताओं को पूर्ति करने का काम किया जाता है। इसके अंतर्गत शिक्षा पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य, टीकाकरण इत्यादि कार्यक्रम संचालित होते हैं। बच्चे कुपोषण का शिकार न हों इसके लिए केंद्र पर उन्हें पुष्टाहार दिया जाता है। इन सब कवायदों से प्रखंड के कई आंगनबाड़ी केंद्र भटक गए हैं।
गुरुवार को जागरण पड़ताल में आंगनबाड़ी केंद्रों पर कई खामियां देखने को मिलीं। सुबह के 11 बजे के करीब नगर के गोला बाजार दलित टोला स्थित केंद्र संख्या 134 में अंदर बच्चे खेल रहे थे। वहीं बरामदे में बकरियां बांधी गई थीं। कोई भी बच्चा ड्रेस में नहीं था। बरामदे में एक महिला भी बकरियों के साथ सो रही थी। सेविका शकुंतला देवी व सहायिका रीना देवी मौजूद मिली।
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उपस्थिति मिली कम, घर से मंगवाया गया बच्चों के लिए आहार
आंगनबाड़ी केंद्रों पर 40 बच्चों का पंजीकरण है। यहां 18 बच्चे ही नजर आए। सेविका ने बताया कि सुबह के समय पहुंचे थे। खेलने चले गए हैं। भोजन के समय सभी पहुंच जाएंगे। जर्जर भवन के कारण भी परेशानी बताई कहा कि बारिश होने पर छत टपकता है। जिसके कारण अभिभावक अपने बच्चों को भेजने से कतराते हैं। केंद्र पर बच्चों के भोजन संबंधित किसी तरह की गतिविधि नहीं दिखाई पड़ी। सेविका ने अपने घर पर खबर भेजी। जिसके बाद बच्चों के लिए रसिआव मंगाया गया। बताया कि केंद्र के अतिक्रमण व भवन की जर्जर स्थिति को देखते हुए घर से ही मीनू के अनुसार खाना तैयार कर मंगाया जाता है। बता दें कि यह केंद्र सामुदायिक भवन में संचालित होता है। जिसमें दरवाजा व खिड़की तक नहीं है।
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बयान :
घर पर खाना बनाने की इजाजत नहीं है। बच्चों के अभिभावकों का बैंक विवरण जमा कराया जा रहा है। जिससे उनके खाते में ड्रेस की राशि भेजी जा सकें। बच्चों की उपस्थिति व मीनू में किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं है। इसकी जांच कराई जाएगी।
कुमारी पुष्पा, सीडीपीओ