दीपावली में पर्यावरण की नहीं करें अनदेखी
बेतिया। दीपावली खुशियों का त्योहार है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर नगरवासियों ने खुशी के अवसर पर दीप जलाकर अयोध्या को रोशन कर दिया था। तब से यह त्योहार मनाया जा रहा।
बेतिया। दीपावली खुशियों का त्योहार है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर नगरवासियों ने खुशी के अवसर पर दीप जलाकर अयोध्या को रोशन कर दिया था। तब से यह त्योहार मनाया जा रहा। लेकिन, समय के साथ इसका स्वरूप भी बदलता जा रहा है। आज लोग केरोसिन के दीये जलाकर वातावरण को प्रदूषित करने लगे हैं। दीपक की जगह रंग-बिरंगे बल्ब व झालर जलाकर घरों को सजाने लगे हैं। आतिशबाजी दिखाने के नाम पर पटाखे जलाते हैं। यह सब वायु और ध्वनि प्रदूषण में बदल जाते हैं। क्योंकि, पटाखों और केरोसिन से खतरनाक व दमघोंटू गैस निकलती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। खुशियों का त्योहार दीपावली को मानते समय पर्यावरण का पूरा ख्याल रखना चाहिए। हमें प्रदूषण रहित दीपावली मनाना चाहिए।
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फोटो 21बीइट06 केरोसिन के दीये जलाने से दीपावली पर खूबसूरती कम, प्रदूषण अधिक फैलता है। हमें घी या तिल के तेल के दीये जलाने चाहिए। आतिशबाजी से परहेज करनी चाहिए। बहुत इच्छा हो तो इको-फ्रैंडली पटाखों का प्रयोग करें। खुशियों भरे त्योहार का सच्चा आनंद तभी उठाया जा सकता, जब अपने अतिरिक्त अपने आस-पास के लोगों तथा पर्यावरण का भी ख्याल रखा जाए।
अरुण कुमार, शिक्षक
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फोटो 21बीइटी07
हमें प्रदूषण रहित दीपावली मनानी चाहिए। ऐसे दीये बिल्कुल नहीं जलाएं, जिनसे वातावरण प्रदूषित होता है। केरोसिन के दीये, हानिकारक रंग-बिरंगी बल्ब की जगह घी और तिल के तेल के दीये जलाएं। दीपावली पर पटाखों से भी परहेज करें। पटाखों से ध्वनि के साथ वायु प्रदूषण भी फैलता है।
अमित सिंह, जदयू युवा उपाध्यक्ष
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नोट- शहीद के नाम दीया का लोगों लगा लेंगे। फोटो 21बीइटी08 शहीदों के नाम जलाएं दीप
जब हम दीपोत्सव मना रहे होते हैं, अपने घरों में बच्चों तथा परिवार के अन्य लोगों के साथ खुशियां मना रहे होते हैं, उस वक्त भी हमारे देश के प्रहरी सीमा पर तैनात होते हैं। हमें इस पर्व पर शहीदों को नमन करना चाहिए। उनकी याद में कम से कम एक दीया जरूर जलाने चाहिए।
- प्रदीप कुमार, आरएलएसवाइ कॉलेज
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फोटो 21बीइटी09 जवान हमारी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर व सीमा पर मुस्तैद रहते हैं। वे जगते हैं तो हम सोते हैं। हमें उनका सम्मान करना चाहिए। देश के लिए उनकी शहादत को भुलाया नहीं जा सकता। हमें उनकी याद में एक दीया अवश्य जलाना चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सबों को सजग रहना होगा।
- राणा दिलीप सिंह, समाजसेवी