बाढ़ में बह गया सैकड़ों एकड़ में लगा धान व गन्ना
कई परिवारों की ¨जदगी में उथल पुथल
बगहा। पिछले पखवारे आए बारिश के बाद नदियों में आए उफान ने कई परिवारों की ¨जदगी में उथल पुथल ला दी है। कई परिवार सड़क पर आ गए है। तो कल तक जो किसान एक साथ सैकड़ों लोगों को खिलाने की कूवत रखते थे आज खुद दाने दाने के मोहताज हो गए है। प्रखंड मुख्यालय में सूखा राहत शिविर में लगने वाली भीड़ इस बाद की गवाही दे रही है। प्रखंड की नदियों खासकर मसान नदी के बारे में एक कहावत है कि यह रातोरात कई लोगों को भीखारी बनाकर रख देती है। पर्यावरण के असंतुलन के कारण बीते दस सालों से इस तरह की उफान नदियों में नहीं देखी गई थी। जिससे तटवर्ती गांवों के किसान भी अश्वस्त हो चले थे कि अब ना वह बारिश रही और ना हीं नदियों के तेवर पर, उनका यह सोचना गलत साबित हुआ। बाढ़ व नदियों का तांडव कुछ इस तरह से हुआ कि अब वे ना घरके है और ना घाट के। अब उन्हे पूरे साल परिवार के खर्च के लिए सरकार के तरफ मुंह देखनी पड़ेगी। कुछ लोग महाजन व रिश्तेदारों के भरोसे अपना बेड़ा पार लगाने के जुगत में अभी से जुटे हुए है। देखना यह है कि इन परिवारों के समक्ष जो चुनौती है। इसमें विभाग कितना मददगार साबित होता है। गुदगुदी पंचायत के भी कई गांव मसान नदी के कारण बर्बाद हुए है। इन्हीं गावों के कुछ किसानों से बातचीत की गई।
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सुखाड़ी यादव : सेवरही बलुअहवा के सुखाड़ी यादव का धान बाढ़ की चपेट में आकर बर्बाद हो गया। कहते है कि अब तो अपना व बच्चों का पेट सालों भर कैसे भरेगा यहीं सोंच रहें है। आवेदन दे दिया है। देखते है सरकार के तरफ से क्या मिलता है।
नारायण शर्मा : नाउम्मीद हो चले सीसवाडीह के नारायण शर्मा का कहना है कि पोती की शादी गन्ने के खेती के भरोसे ही करनी थी। पर कुछ भी नहीं बचा है। समझ में नहीं आता कहां जाए किससे कहें?
प्रयाग यादव : इनका भी धान का फसल मसान नदी के सिल्ट से बर्बाद हो गया है। इनका कहना है कि सरकारी विभाग से लोग आए थे। कुछ लिख पढ़ कर ले गए है। कब होगा क्या होगा? इसका पता नहीं चल रहा है।
मोहन उरांव : सीसवाडीह गांव निवासी मोहन उरांव का कहना है कि मंहगे बीज, खाद, डीजल का खर्च कर्ज लेकर उठाया गया था। सब बर्बाद हो गया। अब समझ में नहीं आता कि इन कर्जो को कैसे चुकाया जाएगा?
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बयान : फसल क्षति से संबंधित आवेदन लेने व प्रचार प्रसार का कार्य जारी है। ऐसे किसान किसान भवन से संपर्क कर सकते है। पर्यवेक्षक दल का गठन हुआ है। जो जीपीएस के माध्यम से क्षति की सूचना भौतिक रूप से स्थल पर जांचकर देंगे। उसी अनुरूप लोगों को मुआवजा दी जाएगी। सभी ऐसे किसानों को इसका लाभ मिलेगा। जिनके फसल का नुकसान हुआ है।
शंभू शरण ¨सह, प्रखंड कृषि पदाधिकारी
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