पूर्णिमा पर पिपरा घाट पहुंचे श्रद्धालु, नारायणी को किया नमन
बेतिया। गंडक नदी के तट पर हजारों श्रद्धालुओं ने सोमवार को स्नान कर मां गंगा को नमन किया। इ
बेतिया। गंडक नदी के तट पर हजारों श्रद्धालुओं ने सोमवार को स्नान कर मां गंगा को नमन किया। इस दौरान लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। नारायणी को नमन कर अपनों की उन्नति का आशीर्वाद मांगा। बैरिया प्रखंड अंतर्गत पीपरा घाट पर कार्तिक स्नान के लिए रविवार की शाम से ही बड़ी संख्या में लोग जुटे। रात भर मन्नत के रूप में श्रद्धालुओं ने घाट पर कोसी भो और दिए जलाएं। कोसी भराई के बाद पारंपरिक और भक्ति गीतों से घाट गुलजार रहा। वहीं कई श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरां पर ही कोसी भराई का कार्य किया। कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान को ले श्रद्धालुओं ने सोमवार की सुबह से ही गंडक नदी में डुबकी लगाना शुरू कर दिया। गंगा स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने पुरोहितों को दान-दक्षिणा भी दिए एवं कई श्रद्धालुओं ने बैतरणी पार करने के लिए गाय का पूछ पकड़ कर दान किया। गंगा स्नान करने के लिए आई श्रद्धालु रंजनी, शालू, अभिषेक, सूरज आदि ने बताया कि ऐसी मान्यता हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूवर्जों को मुक्ति मिल जाती है।
प्राणी के भीतर छिपी तामसिक वृतियों का नाश होता है। वहीं नगर का दुर्गाबाग मंदिर, सागर पोखरा का मनोकामना मंदिर में विशेष रौनक देखने को मिली। भक्तों ने मंत्र जाप के साथ सूर्य को अर्घ्य दिया।
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आस्था के आगे फेल दिखा कोविड-19
गंगा स्नान के दौरान घाटों पर बेतहासा भीड़ का नजारा यह दर्शा रहा था कि लोगों में कोरोना वायरस का डर समाप्त हो गया है। श्रद्धालुओं में पूजा-अर्चना के समय पर किसी प्रकार का भय नहीं था। वहीं गंगा स्नान करने के बाद लोगों ने पखनाहा बाजार में लगे मेले का भी आनंद लिया। आस-पास के बाग-बगीचे में भी पिकनिक मनाया।
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सुरक्षा व्यवस्था रही चाक-चौबंद
महास्नान पर्व को लेकर गंडक के विभिन्न घाटों पर पुलिस सुरक्षा व्यवस्था के लिए पूरा इंतजाम किया गया था। लोगों को घाट पर दूरी बनाएं रखने के लिए लाउड स्पीकर से अपील की जा रही थी। वहीं घाट पर आने वाले लोगों को मास्क अपने की अपील की गई। ---------------------
श्रद्धालु बांछी का पूंछ पकड़कर किया वैतरणी पार
श्रद्धालुओं ने सोमवार की अहले सुबह डुबकी लगाना शुरू कर दिया। स्नान के बाद पूजा अर्चना एवं दान किया। बहुत से श्रद्धालुओं ने बांछी का पूंछ पकड़कर वैतरणी पार करने का सिलसिला पंडितों से कराया। वहीं कई श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद बहुत से श्रद्धालुओं ने दही चूड़ा का भोज भी कराया।