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दुर्गाबाग में श्रद्धालु करेंगे रणमुद्रा में सर्वेश्वरी चतुर्भुज दुर्गा मां का दर्शन

बेतिया। नगर के मध्य में स्थित ऐतिहासिक दुर्गाबाग मंदिर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पूजा की तैयारी चल रही है। यहां रणमुद्रा में सर्वेश्वरी चतुर्भुज दुर्गा मां का दर्शन श्रद्धालु करेंगे। भव्य आयोजन को लेकर स्थानीय कमेटी के द्वारा विशेष व्यवस्था की जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 12:47 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 12:47 AM (IST)
दुर्गाबाग में श्रद्धालु करेंगे रणमुद्रा में सर्वेश्वरी चतुर्भुज दुर्गा मां का दर्शन
दुर्गाबाग में श्रद्धालु करेंगे रणमुद्रा में सर्वेश्वरी चतुर्भुज दुर्गा मां का दर्शन

बेतिया। नगर के मध्य में स्थित ऐतिहासिक दुर्गाबाग मंदिर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पूजा की तैयारी चल रही है। यहां रणमुद्रा में सर्वेश्वरी चतुर्भुज दुर्गा मां का दर्शन श्रद्धालु करेंगे। भव्य आयोजन को लेकर स्थानीय कमेटी के द्वारा विशेष व्यवस्था की जा रही है। रंग-रोगन व सजावट का कार्य किया जा रहा है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक भव्य मंदिरनुमा गेट का निर्माण किया जा रहा है। शहर के दुर्गा पूजा का मुख्य आकर्षण यहां दिखाई देता है। मनोरंजन से लेकर पूजा-पाठ की हर सामग्री यहां उपलब्ध रहती है। बताया जाता है कि ऐतिहासिक दुर्गाबाग मंदिर प्राचीन मंदिरों में सबसे प्रमुख हैं। माता के इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों लोग माथा टेकने आते हैं। शारदीय व वासंतीय नवरात्र में यहां मेला जैसा नजारा रहता है। हजारों श्रद्धालु माता के दरबार में माथा टेकने आते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से आए लोग यहां से कभी निराश होकर नहीं जाते हैं। माता अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं।

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मंदिर का इतिहास गौरवशाली

यूं तो कहा जाता है कि दुर्गाबाग मंदिर का निर्माण बेतिया महाराज द्वारा कराया गया है, लेकिन, कुछ श्रद्धालु इस स्थान का संबंध देवासुर संग्राम से जोड़कर देखते हैं। नागरशैली की अनुपम कृति दुर्गाबाग मंदिर का संबंध ऋगवेद के देवीसूक्त से भी जोड़ा जाता है। शास्त्र के अनुसार माता करूणामयी और ममतामयी हैं। वे अपने भक्तों की हर प्रकार से रक्षा करती हैं। कालांतर में इस मंदिर की व्यवस्था व देखभाल सुगांव के राजाओं द्वारा की जाती है। इसके बाद इस मंदिर की देखभाल बेतिया महाराजों के हाथ में आ गया।

------------------------ बयान:

दुर्गाबाग मंदिर का अस्तित्व देवासुर संग्राम से जुड़ा है। युद्ध में दानवों से पराजित देवता पुन: अपने राज्य व पद पाने प्राप्ति के लिए वेत्रवती आरण्य में ऋषि बन कर तपस्या करने लगे। उन्हीं महर्षियों में अम्मृण ऋषि की पुत्री वाक ने भगवती के साथ अभिन्नता प्राप्तकर देवताओं को तथास्तु का वरदान दिया था।

मालती झा

पुजारी, दुर्गाबाग बेतिया।

------------------------ बयान

दुर्गाबाग का यह मंदिर भक्तों के लिए काफी कल्याणकारी है। माता की आराधना करनेवालों की हर मनोकामना पूरी होती है। मां की महिमा का ही प्रभाव है की नवरात्र में तो यहां पड़ोसी राज्य से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। आम दिनों में भी यहां भक्तों की आवाजाही व पूजा पाठ जमकर होता है।

आचार्य राधाकांत शास्त्री


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