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बिहार की बेटी ने बनाई हीरे की ऐसी अंगूठी, गिनीज बुक में हुआ दर्ज, जानिए क्‍या है खास

बिहार के बगहा की बेटी ने हीरे की एक ऐसी अंगूठी बनाई है, जो अनोखी है। यही वजह है कि इस अंगूठी को बना उसने अपना नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 16 Jun 2018 06:51 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 11:50 PM (IST)
बिहार की बेटी ने बनाई हीरे की ऐसी अंगूठी, गिनीज बुक में हुआ दर्ज, जानिए क्‍या है खास
बिहार की बेटी ने बनाई हीरे की ऐसी अंगूठी, गिनीज बुक में हुआ दर्ज, जानिए क्‍या है खास

पश्चिमी चंपारण [जेएनएन]। बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा निवासी विमल और रंजू भालोटिया की पुत्री खुशबू ने हीरे जडि़त अनूठी अंगूठी बनाकर गिनीज बुक आफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। खुशबू की शादी सूरत के हीरा व्यवसायी विशाल अग्रवाल से हुई है।

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इस दंपती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया से प्रभावित होकर कुछ अलग करने का निश्चय किया। इसके तहत 18 कैरेट गोल्ड में 6690 हीरे जडि़त अनूठी अंगूठी बनाई। इसे बनाने में25 करोड़ रुपये खर्च हुए। इस को भारत के राष्ट्रीय फूल कमल का आकार दिया गया है, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में स्थान मिल गया।

गिनीज बुक में खुशबू को जगह मिलने के बाद बगहा में हर्ष है। अग्रवाल दंपती पिछले एक वर्ष से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। खुशबू के पति विशाल ने दूरभाष पर बताया कि अमेरिका में कुछ यूनिक ज्वेलरी देखने के बाद यह विचार मन में आया कि इंटरनेशल मार्केट में भी भारत की पहचान होनी चाहिए। इसके बाद इस पर काम शुरू किया। हालांकि उस वक्त रिकॉर्ड बनाने का इरादा नहीं था। इंडियन थीम पर रिंग बनाने की ठानी तो सबसे पहले कमल की ओर ध्यान गया। 1 जून को अमेरिका के लॉस एंजिल्स में ङ्क्षरग को लांच किया गया।

खुशबू ने तैयार किया मॉडल

अंगूठी बनाने के पूर्व अग्रवाल दंपती ने सूरत के साथ-साथ मुंबई के व्यवसायियों की भी मदद ली। इस दौरान मॉडल तैयार हुआ, जिसे खुशबू ने फाइनल किया। डिजाइन फाइनल होने के बाद इसे आकार दिया गया। अंगूठी में कट डायमंड का प्रयोग किया गया है।

एक रिंग में इससे अधिक डायमंड का प्रयोग पूर्व में कभी नहीं हुआ। इससे पूर्व वर्ल्‍ड रिकॉर्ड जयपुर के सेवियों के नाम पर था। जिन्होंने 3800 डायमंडयुक्त मोर डिजाइन वाली अंगूठी बनाई थी। हालांकि यह अंगूठी बेहद भारी थी। जिसके कारण इसे पहना नहीं जा सकता था। अग्रवाल दंपती के द्वारा तैयार अंगूठी पहनने योग्य है। 


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