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नरकटियागंज के विद्यालय में भी खतरे की तलवार

ऐसे कई विद्यालय हैं, जहां मौत के साए में आज भी बच्चे और शिक्षक पठन पाठन का कार्य पूरा करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 01:08 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 01:08 AM (IST)
नरकटियागंज के विद्यालय में भी खतरे की तलवार
नरकटियागंज के विद्यालय में भी खतरे की तलवार

बेतिया। ऐसे कई विद्यालय हैं, जहां मौत के साए में आज भी बच्चे और शिक्षक पठन पाठन का कार्य पूरा करते हैं। ऐसे हालात अनुमंडल मुख्यालय से सटे धूमनगर पंचायत अंतर्गत गदियानी टोला प्राथमिक विद्यालय उर्दू की कुछ वर्षों से बनी हुई है। जहां आए दिन भवन के प्लास्टर और उसके बीम का हिस्सा टूटकर गिरता है, भगदड़ मचती है और फिर अपने हाल पर बच्चे और शिक्षक उस व्यवस्था का हिस्सा बनकर रह जाते है। ऐसे हालात से विभागीय अधिकारियों को विद्यालय की ओर से कई बार अवगत भी कराया गया। अधिकारी जांच भी किए और भवन निर्माण के नाम पर हाथ खड़ा करते हुए रटी रटाई हुई ऊपर लिखने की बात कह कर वापस लौटते रहे। सुरक्षित व स्वच्छ एमडीएम संचालन पर भी यह खतरा बना हुआ है। पत्थर का टुकड़ा कभी भी जानलेवा साबित हो सकता हैं। अलबत्ता विद्यालय के एचएम ने पहल कर एक झोपड़ी अपने खर्च से बनाई, जिसमें किसी तरह बच्चों को सुरक्षित करने का काम किया। मगर कहां एमडीएम बने और कहां सामग्रियां रखी जाए। यहां भवन की कुव्यवस्थाओं के बीच निकलना दूभर हो गया है। वैसे भी यहां न तो ठीक से बैठने की व्यवस्था है और न ही पठन पाठन के लिए अनुकूल परिस्थिति। विवश शिक्षक चाह कर भी विद्यालय बंद नहीं कर सकते। भवन के खतरनाक हालत को देखकर यही कहा जा सकता है कि यह विद्यालय सड़क पर पहुंचा दिया गया है। ऐसे में विभागीय अधिकारी यहां की व्यवस्था और बच्चों की शिक्षा के साथ साथ उनकी सुरक्षा के प्रति कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस खतरनाक भवन से विद्यालय को कुछ वर्षों के बाद भी निजात नहीं मिला। जबकि प्लास्टर के बड़े-बड़े टुकड़े गिरने की वजह कुछ महीने पूर्व प्रधान शिक्षिका घायल भी हो गई थी। इस खतरनाक भवन को लेकर अभिभावकों में भी आक्रोश है। यदि कोई अप्रिय घटना घटी तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? उधर शिक्षकों का कहना है कि खतरनाक भवन में पढ़ाई नहीं हो सकती। आए दिन छत का प्लास्टर और बीम का कुछ हिस्सा टूटकर गिरता है। बताया जाता है कि करीब ढाई दशक पूर्व दो कमरे वाले इस विद्यालय भवन का निर्माण कराया गया था, जिसमें गुणवत्ता की काफी कमी रही और कम समय में ही वह जर्जरता की ओर पहुंच गया। गत वर्ष आई प्रलयंकारी बाढ़ ने विद्यालय को और भी खतरनाक बना दिया। यह भवन इस हद तक खतरनाक हो चुका है कि इसमें पठन पाठन के लिए बच्चों के बैठाना खतरा से खेलने के बराबर है। शिक्षकों को हमेशा ¨चता रहती है कि कहीं बच्चे खेलते हुए इस भवन में न चले जाएं। उन्हें हमेशा भवन में जाने से रोकने को निगरानी भी करनी पड़ती है। प्रधान शिक्षिका जैनब खातून ने बताया कि विद्यालय को एक झोपड़ी बनाकर में चलाया जा रहा है। जगह के अभाव में एमडीएम संचालन में भी असुरक्षा का डर बना रहता है। उल्लेखनीय है कि इस विद्यालय के पोषक क्षेत्र में दलित और अल्पसंख्यक परिवार की बहुलता है। विद्यालय शिक्षा समिति के सचिव मीना खातून ने बताया कि भवन की खतरनाक हालत की वजह बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। विद्यालय की ओर से कई बार विभाग को लिखा गया यदि कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसके लिए निर्दोष शिक्षकों को ही घसीटा जाएगा।

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