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शहर के कई ऐतिहासिक तालाबों का वजूद मिटने की ओर, जल का संरक्षण जरूरी

बेतिया। जल स्त्रोतों में हो रहा ह्रास व भू जलस्तर में गिरावट जीव जगत के लिए गंभीर समस्या बन गई है

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 11:56 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 11:56 PM (IST)
शहर के कई ऐतिहासिक तालाबों का वजूद मिटने की ओर, जल का संरक्षण जरूरी
शहर के कई ऐतिहासिक तालाबों का वजूद मिटने की ओर, जल का संरक्षण जरूरी

बेतिया। जल स्त्रोतों में हो रहा ह्रास व भू जलस्तर में गिरावट जीव जगत के लिए गंभीर समस्या बन गई है। भविष्य में यह और अधिक भयावह होने की ओर है। बढ़ती जनसंख्या व प्राकृतिक संसाधनों के निरंतर दोहन से यह समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, जिससे निजात पाने के लिए अभी से ही हर स्तर पर कारगर पहल की दरकार है। लोगों में इसके प्रति जागरूकता लाना सबसे पहली जरूरत है। सरकार व प्रशासन को भी इसपर विशेष ध्यान देना होगा।

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जिला मुख्यालय बेतिया में अधिकांश तालाब बेतिया राज के अधीन हैं। इसमें अधिकांश ऐतिहासिक हैं। पिउनीबाग का रानीघाट पोखर, हरिवाटिका पोखर, दुर्गाबाग पोखर, सागर पोखर का इतिहास गौरवशाली है। हरिवाटिका, रानी घाट व अन्य पोखरों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। इन पोखरों में नाली का पानी बहाने के साथ कूड़ा-कर्कट भी फेंका जा रहा है। इसका जल इतना दूषित हो गया है कि लोग स्नान करने से तौबा कर चुके हैं। अतिक्रमण के कारण इन ऐतिहासिक पोखरों का सौंदर्यीकरण भी समाप्त हो चला है। बदबू के कारण लोग यहां बैठना या टहलना भी पसंद नहीं करते हैं। इन पोखरों के जीर्णोद्धार के लिए बेतिया राज की कोई योजना नहीं है।

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गर्मी में सूख जाता दुर्गाबाग पोखर

बेतिया राज के जमाने में निर्मित ऐतिहासिक दुर्गाबाग पोखर बदहाल है। गर्मी में यह सूख जाता है। बारिश के पानी के कारण थोड़ा बहुत जल संचय हो जाता है, लेकिन अब इसका अस्तित्व दांव पर लग गया है। किसी जमाने में यह पोखर काफी गहरा था। इसमें स्नान करने के बाद लोग दुर्गाबाग मंदिर में पूजा-पाठ करते थे। शहर में होने वाले यज्ञ के दौरान कलश यात्रा निकालने के क्रम में महिलाएं इस पवित्र पोखर से कलश में जल भरती थीं, लेकिन स्थिति अब बदल चुकी है। पोखर के अस्तित्व को बचाने के लिए इसकी गहरी खुदाई भी करानी होगी। तटबंधों को सुरक्षित करना होगा। इन तटबंधों पर हरे-भरे पेड़ लगाने होंगे।

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कहते हैं लोग

फोटो 7

सन्नी कुमार का कहना है कि जल संकट एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। पानी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। ऐसे में इस गंभीर समस्या पर सबको ध्यान देने की जरूरत है। तालाबों को अतिक्रमण और प्रदूषण रहित करना होगा। -----------------

फोटो 6

सूरज कुमार का कहना है कि पोखर जीव जगत के लिए एक बड़ी धरोहर है। इसे सुरक्षित करना आम आदमी की जिम्मेवारी है। प्रशासन को भी इसकी सुरक्षा के लिए कृत संकल्पित होना होगा।

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फोटो 8

डॉ. भरत प्रसाद बताते हैं कि बेतिया पोखरों का शहर है। महाराजा ने यहां अनेकों पोखर खोदवाएं हैं, लेकिन फिलवक्त ये पोखर लापरवाही के कारण खतरे में हैं। इसे बचाने की जरूरत है। जल संचय के लिए पोखर अच्छे विकल्पों में से एक है। इसके लिए प्रशासन को एक कारगर नीति तैयार करनी होगी। अतिक्रमणकारियों के खिलाफ सख्ती बरतनी होगी।

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बयान

बेतिया राज के पोखरों से अतिक्रमण हटाने के लिए इसकी रिपोर्ट लेकर कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में राज के पास पोखरों के जीर्णोद्धार की कोई योजना नहीं है। यदि कोई एजेंसी या प्रशासनिक स्तर पर जीर्णोद्धार किया जाता है, तो इसके लिए संबंधित एजेंसी को राजस्व पर्षद से अनुमति लेनी होगी। अनुमति राज प्रबंधन के स्तर से नहीं मिलेगी।

विनोद कुमार सिंह

प्रबंधक, बेतिया राज


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