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वन्यजीव की हड्डियों के साथ अपराधी गिरफ्तार

बगहा। वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष्य के गोब‌र्द्धना जंगल के समीप स्थित इनरवा थाना क्षेत्र से एक अपराधी को म

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 11:57 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 11:57 PM (IST)
वन्यजीव की हड्डियों के साथ अपराधी गिरफ्तार
वन्यजीव की हड्डियों के साथ अपराधी गिरफ्तार

बगहा। वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष्य के गोब‌र्द्धना जंगल के समीप स्थित इनरवा थाना क्षेत्र से एक अपराधी को मंगलवार शाम किसी वन्यजीव की हड्डियों के साथ दबोच लिया गया। इन हड्डियों को देहरादून के फॉरेंसिक लैब में भेजने की तैयारी चल रही है। न्यायालय से अनुमति मिलते ही वहां जांच के लिए भेज दिया जाएगा। जिससे पता चल सके हड्डी किस वन्य जीव की है।

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वीटीआर प्रशासन को नेपाल से किसी तस्कर के वन्यजीव के हड्डी की तस्करी की सूचना थी। जिस तस्कर को पकड़ने के लिए वन पदाधिकारियों ने एक बड़ा जाल बिछाया। इस अभियान सफल बनाने के लिए एसएसबी का भी सहयोग लिया गया। गोब‌र्द्धना के रेंजर रहीमुद्दीन अहमद के साथ अन्य वनकर्मी मौजूद रहे। जैसे ही एक व्यक्ति हड्डियों को लेकर पहुंचा। उसे दबोच लिया गया। तस्कर की पहचान इनरवा थाना क्षेत्र के घोड़पकडी गांव निवासी 44 वर्षीय जवाहर यादव पिता मुनेसर यादव के रूप में हुई है। फिलहाल उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इस बाबत वीटीआर के निदेशक सह वन संरक्षक एच के राय ने बताया कि इनरवा थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति को संदिग्ध हालत में किसी वन्यजीव के हड्डी के साथ दबोचा गया है। जिसे सड़क पर घूमते गिरफ्तार किया गया है। अपराधी को बुधवार को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। साथ ही उन जब्त की गई हड्डियों को अभी जांच की आवश्यकता है। इसके लिए न्यायालय से आदेश लिया जाएगा। शक है कि इस अपराध के पीछे का तार नेपाल से जुड़ा है। यदि जरूरत हुई तो अपराधी को रिमांड पर लेकर पूछताछ होगी। क्योंकि इसके बाद ही उन हड्डियों के संदर्भ में जानकारी हासिल हो सकती है। जांच के बाद पता चलेगा की किस वन्य जीव की हड्डी है।

----------------------------------- नए साल में मृत मिली थी एक बाघिन :

पिछले साल के अंतिम दिन एक बाघिन के शव को मृत हालत में पाया गया था। जिसको देखने से यह अनुमान लगाया गया कि उसकी मौत लड़ाई में हुई होगी। किसी वन्यजीव के हमले में वह घायल हो गई। लेकिन बीती शाम किसी वन्यजीव की हड्डियों के मिलने से यह साफ हो गया है कि वीटीआर जंगल भी अब सुरक्षित नहीं है। अंदर ही अंदर अपराधी वन्यजीवों को अपना निशाना बनाते हैं। जिसे तंत्र के नाम पर लोकल और इंटरनेशनल मार्केट में मुंहमांगे दामों पर बेचते हैं।


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