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जरूरी काम निबटाने के लिए दूसरी पंचायत में जाने की मजबूरी

बगहा। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा गांवों को विकसित बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। शहरों की भांति अब गांवों में भी विकास की धमक दिख रही। इसके बावजूद कहीं-कहीं संसाधनों का टोटा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 12:52 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 06:18 AM (IST)
जरूरी काम निबटाने के लिए दूसरी पंचायत में जाने की मजबूरी
जरूरी काम निबटाने के लिए दूसरी पंचायत में जाने की मजबूरी

बगहा। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा गांवों को विकसित बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। शहरों की भांति अब गांवों में भी विकास की धमक दिख रही। इसके बावजूद कहीं-कहीं संसाधनों का टोटा है। गांवों को विकसित बनाने के लिए राज्य सरकार मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना चला रही। इसके तहत अपेक्षाकृत पिछड़े गांवों में पक्की नाली, पक्की सड़क, नल से जलापूर्ति समेत अन्य योजनाओं पर काम चल रहा। इसका प्रतिफल गांवों में दिखाई भी देने लगा है। परंतु सुविधा बहाली की दिशा में चल रहे प्रयास की गति काफी धीमी है। हर जगह लूट-खसोट का गोरखधंधा चल रहा है।

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बगहा एक प्रखंड का रायबारी महुअवा पंचायत जो मसान नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है, नदी के बाढ़ से हर साल त्रस्त होता है। नदी हर साल कई एकड़ जमीन अपने गर्भ में मिला ले जाती है। सरकार द्वारा बाढ़ से बचाव के लिए मसान नदी के किनारे लगभग 1500 मीटर की लंबाई में सुरक्षा तटबंध का निर्माण भी कराया गया है। जिससे रायबारी महुअवा के गांव की सुरक्षा तो हो जाती है, परंतु फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है। सो सुरक्षा तटबंध की लंबाई बढ़ाने की जरूरत है। रविवार को पंचायत के मुखिया शमशाद अली की अध्यक्षता में ग्रामीणों की चौपाल लगी। जिसमें विकास योजनाओं पर चर्चा की गई।

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कहते हैं ग्रामीण :- पंचायत सरकार भवन नहीं होने के कारण विकास की गति काफी मंद पड़ गई है। सरकारी कार्य जन प्रतिनिधियों के घर पर ही निपटाया जाता है।

--सफीउर रहमान पंचायत में डाक घर नहीं रहने के कारण कई कार्य बाधित रहता है। मुख्य कार्य को निबटाने के लिए दूसरे पंचायत में जाना पड़ता है। इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है।

--नबी अहमद। कागज में भले ही पंचायत को ओडीएफ कर दिया गया है। परंतु आज भी बहुत से लोग खुले में शौच को जाते हैं।सो स्वच्छता के प्रति व्यापक जागरूकता की आवश्यकता है।

--जमीर अनवर। मसान नदी का सुरक्षा तटबंध जबतक तमकुही तक नही बढ़ाया जाएगा। तबतक बाढ़ की कहर से मुक्ति नही मिलेगी। जनप्रतिनिधि तो बार बार आश्वासन देते हैं परंतु आश्वासन को कार्य रूप नही दिया जा सका है।

--ज्याउर रहमान। गांवों की घनी आबादी के कारण नाली की समस्या लगातार विकास में बाधक बानी हुई है। सो जबतक पूरे पंचायत में नाली की समस्या दूर नही होगी। विकास की गति धीमी ही रहेगी।

--मो. सरीफ। पंचायत में एक भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं रहने के कारण ग्रामीणों को घोर परेशानी उठानी पड़ती है। सो सबसे पहले स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने की जरूरत है। स्वास्थ्य केंद्र के अभाव में मरीज आसानी से इलाज नहीं करा पाते।

--सरफुद्दीन

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मुखिया ने कहा :-

पंचायत में उच्च शिक्षा की हालात काफी खराब है।प्राथमिक विद्यालय चार ,मध्य विद्यालय दो हैं परंतु उच्च विद्यालय एक भी नही रहने से बालिकाओं की शिक्षा काफी प्रभावित है।सो गांव में 60 फीसदी लोग ही शिक्षित हैं। नल जल का कार्य जोरों पर चल रहा है। परंतु नाली पंचायत की बड़ी समस्या बनाकर खड़ी है। मसान नदी पर पुल नही रहने के कारण किसानों को खेती के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

--शमसाद अली, पंचायत के मुखिया। पंचायत की मुख्य सड़क का अतिक्रमण चरम पर होने के कारण आने-जाने में असुविधा होती है। नाली के अभाव में कई लोग अपने घरों का पानी मुख्य सड़क पर बहाते हैं। इससे लोगों को आवागमन में परेशानी होती है।

--साकिब अली

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