बीपीएल परिवारों को एक माह में आया 25 हजार का बिजली बिल
बगहा एक प्रखंड में संपन्नता के मामले में नड्डा गांव का नाम सबसे ऊपर आता है।
बगहा। बगहा एक प्रखंड में संपन्नता के मामले में नड्डा गांव का नाम सबसे ऊपर आता है। पंचायत की स्थिति भी कुछ वैसी ही है। प्रखंड में सबसे बेहतर बिजली यहां रहती है। सरकारी अस्पताल की हालत भी संतोषजनक है। प्राथमिक से लेकर उच्च विद्यालय भी पंचायत में है। जहां नियमित रूप से पठन पाठन का काम होता है। लेकिन इसके सटे एक खेखरिया टोला गांव है। जहां अतिपिछड़ा और महादलित बसते है। दो वार्डों क्रमश: छह और सात में खेखरिया टोला फैला हुआ है। जिसकी आबादी करीब 4000 हजार है। पेशा से व्यवसायी और किसान ,मजदूर वर्ग के लोग जीवनयापन करते हैं। इस गांव में रहने वाले सभी लोग हंसी खुशी अपने काम में लगे रहते हैं। गांव के खुशहाली का आलम यह है कि यहां सब किसी को पेंशन भी मिलता है। आवास योजना के भी पात्र लोगों को लाभ मिला है। राशन केरोसिन भी समय पर मिल जाता है। लेकिन यहां के लोगों को सरकार से कुछ शिकायत है। गांव में रहने वाले अधिकतर बीपीएल के लोग हैं जिनका आज से कुछ दिन पूर्व बीपीएल योजना के तहत बिजली का कनेक्शन दिया गया था। अब उनके घर बीस से पच्चीस हजार का बिल भेज दिया गया है। इतना ही नहीं जिनका मीटर बंद करा दिया गया है उनको भी बिल भेजकर उसे मानसिक यातना दिया जा रहा है। जिसको लेकर गांव के लोग काफी परेशान हैं। कई बार विभाग के कार्यालय में चक्कर लगाया। लेकिन कोई लाभ दिखाई नहीं दिया। कुछ वैसी ही स्थिति की एक बार फिर पुनरावृति हो गई। आज से दो माह पहले गांव में कैंप लगाकर बिजली के लिए आवेदन लिया गया और आज तक किसी के घर में कनेक्शन नहीं लगा है। ग्रामीण इस बात से भयभीत हैं कि कहीं ऐसा न हो कि बिजली लगे बिना ही बिल आने लगे। वैसे तो यहां बिजली प्रचुर मात्रा में रहती है लेकिन अगर खराब हो जाए तो उसका कोई देखने वाला नहीं रहता है। ग्रामीण अपने स्तर से निजी मिस्त्री से उसे ठीक कराते हैं। अगर गड़बड़ी बड़ी हो गई तो आपस में चंदा कर के उसको सुधार कराया जाता है। लेकिन विभाग का कोई यहां झांकनें तक नहीं आता है। बेरोजगारों को नहीं कोई रोजगार की व्यवस्था क्षेत्र में रोजगार का अवसर नगन्य है। समीप के भैरोगंज बाजार में एक चावल उद्योग था जो आज से करीब पंद्रह वर्ष पहले बंद हो गया। इसको लेकर बेरोजगारी बढ़ गई है। रोजगार का अवसर नहीं होने के कारण युवाओं का पलायन चरम पर है। गांव वालों का कहना है कि चुनाव के समय में सभी आते हैं लेकिन बाद में कोई पूछने भी नहीं आता है। पंचायत में शिक्षित की संख्या अस्सी फीसद है लेकिन सरकारी सेवा में मात्र पचास लोग ही हैं। यह शिक्षित और संपन्न समाज को इस बात का मलाल है। इनकी भी सुनिए
सरकार की घोषणा गांवों के विकास को लेकर होती है लेकिन घोषणा के अनुरूप दस फीसद भी गांवों में दिखाई नहीं देता है। गांवों के लिए सरकार अलग से बजट बनाए तथा बजट के अनुसार गांव में काम हो। जब तक ऐसा नहीं होगा सही मायने में विकास होगा।
-- छविलाल मांझी , ग्रामीण सरकार गांवों के लिए अगर कुछ करना चाहती है तो सबसे पहले गांवों को विकसित करे तथा क्षेत्र में रोजगार पैदा करे। जब तक देश का युवा रोजगार के लिए भटकता रहेगा देश में अपराध और भ्रष्टाचार बनी रहेगी। इस पंचायत में रोजगार का अभाव बड़ी समस्या है।
-- गोबरी शर्मा , ग्रामीण एपीएल, बीपीएल, आधार कार्ड, राशन कार्ड एवं अन्य ग्रामीण स्तर के काम के लिए गांवों में ही कैंप लगना चाहिए तथा इसके लिए मुखिया या अन्य प्रतिनिधि को ही इसका अधिकार होना चाहिए। इस कार्य के लिए आदमी को अपना काम छोड़कर ब्लॉक या अंचल जाना पड़ता है।
-- मनोज कुशवाहा , ग्रामीण पंचायत में रोजगार के अवसर की कमी है। मनरेगा से कुछ जॉबकार्डधारी को रोजगार मिल जाता था। लेकिन डेढ़ वर्ष से मनरेगा से काम बंद है। बेरोजगारी बढ़ गई है। पंचायत में अस्सी फीसद लोग शिक्षित हैं लेकिन रोजगार के अभाव में साठ फीसद से अधिक लोग पलायन कर गए हैं।
- रामू चौधरी, मुखिया प्रतिनिधि
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इनसेट बयान
सरकार की ओर से प्राप्त निधि का समुचित उपयोग किया गया है। लेकिन समस्याएं अधिक है। इन समस्याओं के समाधान के लिए सांसद व विधायक का भी सहयोग चाहिए। पंचायत में एक महाविद्यालय की स्थापना के लिए पदाधिकारियों से बात की गई है । मुख्यमंत्री निश्चय योजना के बदौलत गांव में कुछ काम दिखने लगा है। जल जमाव से निजात मिली है। पीसीसी, मिट्टी भराई, ईंट सो¨लग के कार्य हुए हैं। अस्सी फीसद घरों में शौचालय बन गया है।एक सामूहिक शौचालय बनाने की योजना है।
मुनचुन देवी, मुखिया, नड्डा पंचायत, बगहा एक गांव एक नजर में
आबादी - 4000
प्राथमिक विद्यालय - 01
आंगनबाड़ी केंद्र - 01
जनवितरण दुकान - 01
साक्षरता - 80 फीसद
बेरोजगार - 60 फीसद
शौचालय - 90 फीसद